पटना, : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) देश में विपक्षी एकता (Opposition Unity) की मुहिम में लगे हैं। वे हरियाणा में चौधरी देवीलाल की जयंती पर आयोजित रैली में शामिल होकर तथा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के साथ कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मिलकर आज पटना लौट रहे हैं। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी ने विपक्षी एकता की मुहिम पर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद बातचीत करने की बात कही है। इस मामले में गरमाई राजनीति के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) व भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ विपक्ष कितना एकजुट हो सकेगा?
इनेलो की रैली में नहीं दिखे विपक्ष के कई दिग्गज
बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की पहली बड़ी बानगी रविवार को हरियाणा के फतेहाबाद में पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व.चौधरी देवीलाल की 109वीं जयंती पर इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की सम्मान दिवस रैली में देखने को मिली। मंच पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) सहित कई दिग्गज विपक्षी नेता मौजूद थे। वहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के नेता सीताराम येचुरी, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिवसेना (उद्धव गुट) से अरविंद सावंत भी दिखे। लेकिन विपक्ष के कई दिग्गजों का नहीं आना सवाल छोड़ गया।
नहीं आए के चंद्रशेखर राव, सोनिया की कमी खली
इनेलो (INLD) की रैली में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला तथा तेलंगाना राष्ट्र पार्टी (TRS) के के चंद्रशेखर राव नहीं पहुंचे। सोनिया गांधी की कमी खली। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी नहीं आए। आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नहीं आना पहले से तय था।
नहीं हुआ तीसरे मोर्चे के गठन जैसा कोई फैसला
रैली में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की बात तो हुई, लेकिन विपक्ष के तीसरे मोर्चे के गठन जैसा कोई बड़ा फैसला नहीं हो सका। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीसरे मोर्चे के बदले मुख्य विपक्षी गठबंधन का संदेश तो दिया, लेकिन यह भी कहा कि कांग्रेस साथ लेकर ही बात बन सकती है। नीतीश कुमार ने इसके लिए खुद कोशिश करते हुए रैली की शाम ही सोनिया गांधी से मुलाकात की, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी अध्यक्ष के संगठनात्मक चुनाव का हवाला देकर उसके बाद ही कोशिश करने की बात कही।
विपक्षी एकता को लेकर दलों ने नहीं खोले पत्ते
नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को भी दी, लेकिन चौटाला शिक्षक भर्ती मामले में 10 साल की सजा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मानते हैं। ऐसे में वे कांग्रेस से बात करेंगे, इसे लेकर संदेह है। दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार विकाश चन्द्र पाण्डेय के अनुसार ऐसे विरोधाभाष विपक्ष के कई अन्य दलों के बीच भी हैं, जिसे समय रहते दूर किए बिना विपक्षी एकजुटता का प्रयास लक्ष्यहीन हो जाएगा। रैली में विपक्षी एकता बाते करने के बावजूद राजनीतिक दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले। जबकि, इनेलो का दावा था कि रैली में तीसरे मोर्चे का ऐलान होगा। रैली के पहले चौटाला की नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव एवं शरद पवारके साथ बैठकें भी हुईं थीं।
विपक्षी एकजुटता में अभी कायम हैं कई अड़चनें
दैनिक जागरण के बिहार ब्यूरो प्रमुख अरविंद शर्मा विपक्षी दलों की आपसी खींचतान को लेकर इस एकजुटता में अभी कई अड़चनों को देखते हैं। कहते हैं कि देखा जाए तो नीतीश कुमार आरजेडी, समाजवादी पार्टी, इनेलो, सीपीएम, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव गुट), नेशनल कांफ्रेंस, शिरोमणी अकाली दल को साथ लाने में सफल रहे, लेकिन मामला टीआरएस, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जैसे दलों को लेकर फंसता दिख रहा है। केसीआर प्रमुख के चंद्रशेखर राव गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस गठबंधन की बात करते रहे हैं तो नीतीश कुमार कांग्रेस को गठबंधन में रखने के पक्षधर हैं।
केजरीवाल खराब करेंगे नीतीश-लालू का खेल!
नीतीश कुमार रैली के बाद सीधे दिल्ली गए। दिल्ली में उन्होंने सोनिया गांधी व अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। इस बीच पटना में केजरीवाल की पार्टी के बिहार के चुनाव प्रभारी और दिल्ली में विधायक अजेश यादव ने बिहार में आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि क्या केजरीवाल बिहार में लालू व नीतीश का खेल खराब करने के मूड में हैं?
विपक्ष के प्रधानमंत्री चेहरा का भी बड़ा सवाल
सवाल विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व को लेकर भी है। कांग्रेस का प्रधानमंत्री चेहरा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) रहे हैं। अगले लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election 2024) के पहले उनकी जारी पदयात्रा को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा है कि वे विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे हैं, विपक्ष का प्रधानमंत्री चेहरा बनने की दौड़ में नहीं हैं। हालांकि, बिहार में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर अकेली विपक्षी पार्टी बनाने में उनकी सफलता के बाद उन्हें विपक्ष का नेता मानने वालों की कमी नहीं है। ममता बनर्जी के चंद्रशेखर राव सहित और भी कई चेहरे चर्चा में रहे हैं। इसपर फैसला तो फिलहाल होता नहीं दिख रहा।
नीतीश को लेकर बिहार की राजनीति भी गर्म
इस मामले में नीतीश कुमार को लेकर बिहार की राजनीति भी गरमाई हुई है। बीजेपी के प्रवक्ता रामाधार सिंह के अनुसार लालू प्रसाद यादव बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में भेजना चाहते हैं। इसे सोनिया गांधी सब समझती हैं। बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं कि विपक्षी एकता के प्रयास में नीतीश कुमार पक्षी बनकर उड़ रहे हैं, लेकिन कुछ होने वाला नहीं है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का दावा है कि बीजेपी 2024 में पहले से ज्यादा सीटें जीतेगी और नीतीश कुमार जमानत भी नहीं बचा पाएंगे। हालांकि, आरजेडी की तरफ से ऐसे बयानों को विराेधियों की बौखलाहट बताया जा रहा है।