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‘हम समाज को जंगल बनने नहीं दे सकते’, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की रेप के दोषी की याचिका


  • सुप्रीम कोर्ट ने आज एक रेप के दोषी की याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी है कि हम समाज को जंगल नहीं बनने दे सकते. दरअसल दोषी को एक लड़की का रेप और उसकी हत्या करने के आरोप में साल 2009 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी. दोषी की ओर से कोर्ट में सजा कम करने की अपील की गई थी. दोषी की वकील की दलील थी कि जब दोषी ने इस घटना को अंजाम दिया, उस वक्त वो सिर्फ 20 साल का था. हालांकि कोर्ट ने दोषी के प्रति किसी भी तरह का नरम रुख अपनाने से साफ इनकार कर दिया.

मामले की सुनवाई कर रही संजय किशन कौल और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने पूछा, पीड़िता का क्या? आपको शुक्रगुजार होना चाहिए कि हमने आपको मौत की सजा नहीं सुनाई. आपको अपने किए की सजा तो भुगतनी पड़ेगी.

दरअसल दोषी की वकील मिनाक्षी विज का कहना था कि दोषी पिछले काफी समय से सजा भुगत रहा है, ऐसे में अब उसको राहत देने के लिए कोई आदेश दिया जाना चाहिए. मिनाक्षी विज ने दोषी को पैरोल पर बाहर आने की याचिका दाखिल की थी. हालांकि कोर्ट ने इस याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि , हम हमारे समाज को जंगल बनने नहीं दे सकते. दूसरी तरफ पीड़िता भी है और हमे उसके बारे में भी सोचना होगा.

एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे (S A Bobde) की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने सोमवार को कहा कि “क्या तुम उससे शादी करोगे?” सवाल को गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया और सुप्रीम कोर्ट तथा जजों की छवि को खराब करने की कोशिश की गई. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि “हम महिलाओं का सबसे ज्यादा सम्मान करते हैं.” इस बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणयम भी थे.

पिछले सप्ताह रेप मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रेप के आरोपी से सवाल किया था कि क्या वो पीड़िता से शादी करेगा, जिसे लेकर सीजेआई और कोर्ट की काफी आलोचना की गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंच ने कहा कि आरोपी याचिकाकर्ता से मामले के संदर्भ में यह सवाल किया गया था कि क्या वह पीड़िता से शादी करेगा. उससे यह नहीं कहा गया था कि “जाकर उससे शादी करे.” सीजेआई बोबडे ने कहा, “कोर्ट का कार्यवाही को गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया.”