- अमेरिका में ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ पर आज से शुरू होने वाले अकादमिक सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले लोगों को दक्षिणपंथियों द्वारा लगातार जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। ऐसे में इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले कई लोगों ने अपने नाम वापस ले लिए हैं। सम्मेलन में भारत से महिला एक्टिविस्ट और सीपीआई एमएल की नेता कविता कृष्णन और एक्टिविस्ट और बुद्धिजीवी भंवर मघेवंशी हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन का नाम ‘वैश्विक हिंदुत्व का ध्वीस्तीकरण’ है। सम्मेलन को हार्वर्ड, कोलंबिया, बर्कले, शिकागो, स्टैनफोर्ड, प्रिंस्टन और पेन्निसेलवेनिया समेत 53 विश्वविद्यालय मिलकर आयोजित कर रहे हैं। सम्मेलन को भारत और अमेरिका के कुछ समूहों ने भारत विरोधी बताकर निशाना बना रहे हैं।
एक बयान में आयोजनकर्ताओं ने कहा कि कार्यक्रम के प्रायोजक विश्वविद्यालयों पर इन अराजक तत्वों द्वारा सम्मेलन को रद्द करने के लिए लगातार दबाव डाला गया। साथ ही अराजक तत्वों ने सम्मेलन आयोजित करने पर घातक नतीजे की धमकी दी। यही वजह है कि सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले बहुत सारे लोगों ने अपने नाम वापस ले लिए। क्योंकि उन्हें इस बात की आशंका थी कि अगर सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं तो देश वापस लौटने पर उन पर पाबंदी लगाई जा सकती है या फिर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। सम्मेलन में शामिल होने वाले दर्जनों वक्ताओं के परिवार के सदस्यों के खिलाफ हिंसक धमकियां मिली हैं। एक वक्ता मीना कंडास्वामी ने अपने बच्चे की एक फोटो दिखाया, जिसे सोशल मीडिया पर डालने के बाद धमकी देने वाले ने लिखा है, “तुम्हारा बेटा बेरहम मौत मारा जाएगा।” साथ ही उन्हें जातीय गालियां दी गईं।
बताया गया है कि सम्मेलन के आयोजन में शामिल विश्वविद्यालयों के अध्यक्षों, प्रोवोस्ट और कर्मचारियों को करीब 10 लाख से ज्यादा ईमेल मिले हैं, जिसमें उन पर सम्मेलन को रद्द करने का दबाव डाला गया है या फिर उससे बाहर होने की मांग की गई है। इनमें भारत और अमेरिका में शामिल तमाम वे समूह हैं जो इन दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े हुए हैं। न्यू जर्सी में स्थित ड्रियू विश्वविद्यालय को कुछ ही मिनटों में 30,000 ईमेल प्राप्त हुए, जिसके चलते विश्वविद्यालय का सर्वर क्रैश हो गया।
सम्मेलन के आयोजकों में से एक सांटा क्लारा विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर रोहित चोपड़ा ने कहा कि नफरत का स्तर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आयोजकों और वक्ताओं को जान से मारने की धमकी, यौन हिंसा और उनके परिवारों को धमकियां मिल रही हैं। महिला भागीदारों को महिला संबंधी भद्दी-भद्दी गालियां दी जा रही हैं। जबकि सम्मेलन में शामिल धार्मिक अल्पसंख्यकों को जातीय और सांप्रदायिक गालियां दी जा रही हैं।