नई दिल्ली: 13 दिसंबर 2001 यहीं वो तारीख है, जब एक सफेद एंबेसडर कार में आए पांच आतंकवादियों ने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन पर आतंकी हमले को अंजाम दिया था। आज संसद भवन हमले की 21वीं बरसी है। 21 साल बाद भी संसद पर हुए आतंकी हमले की यादें ताज हैं। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे। जबकि पांचों आतंकी भी मारे गए थे।
सफेद एंबेसडर कार में सवार होकर आए थे आतंकी
दरअसल, 13 दिसंबर 2001 की सुबह संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। उस दिन संसद में ज्यादातर सांसद मौजूद थे और संसद के दोनों सदनों में ताबूत घोटाला को लेकर सदस्यों द्वारा हंगामा किया जा रहा था। तभी करीब 11 बजकर 29 मिनट पर एक सफेद एंबेसडर कार संसद भवन की ओर तेजी से आई और मेन एंट्रेंस पर लगे बैरिकेड को तोड़ते हुए अंदर घुस गई। बता दें कि सफेद एंबेसडर कार पर गृह मंत्रालय का स्टीकर भी लगा था।
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45 मिनट तक गोलियों की आवाज से गूंजता रहा संसद प्रांगण
सफेद एंबेसडर कार में सवार जैश के पांचों आतंकियों ने एके-47 से गोलियों चलानी शुरू कर दी। गोलियों की आवाज सुन संसद परिसर में मौजूद सुरक्षा बल मुस्तैद हो गए। आनन-फानन में सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत मोर्चा संभाला और संसद के एंट्री का गेट बंद कर दिया। करीब 45 मिनट तक संसद में गोलियों की आवाज सुनाई देती रही। आमने-सामने की मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने सभी आतंकियों को मार गिराया। हालांकि, इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड समेत कुल 9 लोग शहीद हो गए।
हमले के वक्त आवास के लिए निकल गए थे पीएम अटल बिहारी
बता दें कि संसद पर जिस वक्त आतंकी हमले को अंजाम दिया गया। उस दौरान ज्यादातर सांसद सदन में मौजूद थे। जबकि हंगामे के चलते संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था। जिसके चलते प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और और लोकसभा में विपक्ष की नेता सोनिया गांधी हमले से पहले अपने आवास के लिए निकल चुके थे। हालांकि, हमले के वक्त तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी संसद भवन में ही थे।

अफजल गुरु था संसद हमले का मास्टरमाइंड
उल्लेखनीय है कि संसद भवन पर हुए इस हमले की साजिश अफजल गुरु ने रची खी। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान पता चला था कि उसने पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग भी ली थी। बता दें कि साल 2002 में दिल्ली हाई कोर्ट और साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उसको फांसी की सजा सुनाई थी। 9 फरवरी 2013 की सुबह अफजल गुरू को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी।





