नई दिल्ली, । सरकार ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु हवाईअड्डों का संचालन करने वाले निजी संयुक्त उद्यमों में एएआई की हिस्सेदारी को बेचने का फैसला अस्थायी रूप से टालने का फैसला किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। राज्य के स्वामित्व वाली एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के चार प्रमुख हवाई अड्डों में सरकार की हिस्सेदारी राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत बेची जानी है।
एएआई के पास दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों को संचालित करने वाले संयुक्त उद्यमों में प्रत्येक में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हैदराबाद और बेंगलुरु हवाई अड्डों को संचालित करने वाले संयुक्त उद्यमों में प्रत्येक में इसकी 13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
मूल्यांकन पर हो रहा मंथन
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन NMP का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों के माध्यम से 6 लाख करोड़ रुपये हासिल किए जाएंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वित्त मंत्रालय ने फिलहाल इन चार संयुक्त उपक्रमों में एएआई की शेष हिस्सेदारी की बिक्री टालने का फैसला किया है। अधिकारी ने कहा कि अभी इनके मूल्यांकन का काम पूरा नहीं हो सका है।
आपको बता दें कि इन परिसंपत्तियों का प्रबंधन निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है। एनएमपी के तहत चार हवाईअड्डों सहित 25 हवाईअड्डों में एएआई की बची हुई हिस्सेदारी का मूल्यांकन किया गया है। वित्त वर्ष 2022-25 के लिए इन संपत्तियों की कुल कीमत 20,782 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
मार्केट रेट पर होगी हवाई अड्डों की बिक्री
निजी प्रबंधन के तहत संयुक्त उद्यम वाले हवाई अड्डों में एएआई की हिस्सेदारी के विनिवेश के कारण 10,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया गया है। अगस्त 2021 में जारी एनएमपी के दस्तावेज के अनुसार, एएआई हिस्सेदारी बिक्री से वास्तविक प्राप्ति लेनदेन के समय, बाजार की स्थितियों और लेनदेन की शर्तों जैसे कई कारकों पर निर्भर करेगी।’ चार निजी संयुक्त उद्यमों में एएआई की हिस्सेदारी के अनुमानित मूल्य का निर्धारण करने के लिए बाजार दरों का सहारा लिया गया है।