तीनों नामों ने वापस लिए नाम
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के इस इनकार के साथ ही राष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी खेमे से सामने आए तीनों नामों ने उम्मीदवारी की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया है। राकांपा प्रमुख शरद पवार और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने सक्रिय राजनीति में रहने का हवाला देते हुए पहले ही राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया था।
आम सहमति बनाने की मशक्कत
राष्ट्रपति चुनाव को 2024 के आम चुनाव के लिहाज से विपक्षी दलों की एकजुटता की पहली कड़ी बनाने की कोशिशों के बीच इन तीनों के अपने कदम पीछे खींचने के बाद शीर्ष विपक्षी नेता नए नामों की तलाश के साथ उन पर सहमति बनाने की मशक्कत में जुट गए हैं। राकांपा नेता शरद पवार ने इस सिलसिले में सोमवार को कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और माकपा नेता सीताराम येचुरी समेत विपक्षी खेमे के कई नेताओं से सलाह-मशविरा किया।
सूत्रधार की भूमिका निभाएंगे पवार
राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्षी दलों की दूसरी बैठक मंगलवार को होनी है और यह बैठक भी पवार की ओर से ही बुलाई गई है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर 15 जून को विपक्षी दलों की इस मुद्दे पर पहली बैठक हुई जिसमें कांग्रेस समेत कई दलों ने दीदी की सरपरस्ती को लेकर असहजता जाहिर की थी और इसमें ही तय हो गया था कि अब विपक्षी उम्मीदवार का फैसला करने के लिए होने सियासी पहल में पवार सूत्रधार की भूमिका निभाएंगे।
बेहतर विकल्प थे गोपालकृष्ण गांधी
लेकिन पवार की बैठक से एक दिन पहले ही महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी ने बयान जारी कर उम्मीदवारी की रेस से खुद को अलग कर लिया। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नाम और व्यक्तित्व ही नहीं विपक्षी दलों के बीच आपसी सहमति के लिहाज से भी गोपालकृष्ण गांधी विपक्ष के लिए उम्मीदवार का एक बेहतर विकल्प थे। लेकिन उनकी गैर राजनीतिक छवि 2024 के लिए विपक्ष की तरफ से कोई बड़ा संदेश नहीं दे पाती।