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Uttarakhand Budget: कर रहित बजट में चुनावी घोषणाओं की छाप


देहरादून, । उत्तराखंड का बजट सत्र स्थगित हो गया। कुल चार दिन चले सदन से कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकले हैं। पुष्कर सिंह धामी की सरकार 65,571 करोड़ रुपये का कर रहित बजट पारित कराने एवं जनता तक अपनी प्राथमिकताएं पहुंचाने में कामयाब रही। बजट में जनता पर कहीं कोई कर का भार नहीं डाला गया, सभी प्राथमिकता क्षेत्रों के लिए कहीं सांकेतिक तो कहीं पर्याप्त प्रविधान किए गए। नवनिर्वाचित सरकार के पहले बजट को चुनावी घोषणापत्र की कसौटी पर भी कसा जाता है। इस स्वाभाविक जन प्रवृत्ति के प्रति सरकार सतर्क दिखी। बजट में विधानसभा के चुनाव घोषणापत्र के बिंदुओं पर गंभीरता दिखी। समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय समिति अपना कार्य शुरू कर सके, इस लिए कार्यालयी खर्चो के लिए भी पांच करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

हालांकि प्रदेश सरकार के बजट में अपने पांवों पर खड़े होने के गंभीर प्रयासों का अभाव दिखाई दिया, लेकिन केंद्रीय सहायता के भरपूर उपयोग की इच्छाशक्ति अवश्य परिलक्षित हो रही है। विपक्ष का यह कहना काफी हद तक ठीक है कि केंद्र की सहायता का लाभ उठाना राज्य हित में है, लेकिन केंद्र पर इस सीमा तक निर्भरता राज्य हित में नहीं। राज्य में औद्योगिक विकास एवं प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग के लिए अतिरिक्त प्रयास आवश्यक हैं। अर्थशास्त्रियों का भी यह सोचना है कि वर्तमान में केंद्र एवं प्रदेश में एक ही दल की सरकारें हैं और उत्तराखंड डबल इंजन का लाभ लेने की स्थिति में है, लेकिन इस स्थिति में खुद के पांवों पर खड़ा होने के प्रयत्नों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए। 21 साल बाद भी यदि उत्तराखंड अपने संसाधन पैदा करना एवं वर्तमान संसाधनों का भरपूर उपयोग करना नहीं सीखा तो यह राज्य की आर्थिकी के लिए ठीक नहीं है।