भाजपा नेता रावसाहेब दानवे के बयान ने मचाई सनसनी
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने रविवार को कहा कि महा विकास आघाड़ी सरकार शिवसेना के भीतर हो रहे विद्रोह से त्रस्त है। यह दो से तीन दिनों तक ही चलेगी। राज्य के राकांपा मंत्री राजेश टोपे की मौजूदगी में जालना में एक कृषि विभाग भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, रावसाहेब दानवे ने कहा कि एमवीए सरकार को शेष विकास कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए क्योंकि हम (भाजपा) केवल दो से तीन दिन के लिए ही विपक्ष में हैं। पढ़ें पूरी खबर- ‘दो-तीन दिन चलेगी MVA सरकार’
क्या वाकई महा विकास आघाड़ी की सरकार है चंद दिन की मेहमान
केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे के इस बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई महा विकास आघाड़ी की सरकार चंद दिनों की मेहमान है। गौर करने वाली बात यह कि अब तक भाजपा महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट से खुद को दूर दर्शाती नजर आई है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद हाल ही में सूबे में पैदा हुए सियासी संकट के बीच ऐसा पहली बार है जब किसी केंद्रीय मंत्री और भाजपा के किसी बड़े नेता की ओर से ऐसा बयान सामने आया है।
आदित्य की अपील, लेकिन एक और मंत्री ने भरी उड़ान
राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे मुंबई में कलिना सांताक्रूज में पार्टी कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में कहा कि जो लोग छोड़ना चाहते हैं और पार्टी में लौटना चाहते हैं, उनके लिए शिवसेना के दरवाजे खुले हैं। जो बागी विधायक देशद्रोही हैं, उन्हें पार्टी में वापस नहीं लिया जाएगा। हालांकि वास्तविकता यह है कि बागियों का खेमा लगातार मजबूत होता जा रहा है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत सूरत से गुवाहाटी के लिए रवाना हुए। समाचार एजेंसी आइएएनएस का कहना है कि उदय सामंत ने बागी खेमा ज्वाइन कर लिया है…
संजय राउत ने दी चुनाव में जाने की चुनौती
वहीं समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राउत ने रविवार को बागियों को विधायक पद छोड़ने और फिर से चुनाव का सामना करने की चुनौती दी। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग वापस लौटना चाहते हैं उनके लिए पार्टी के दरवाजे खुले हैं। संजय राउत ने विश्वास व्यक्त किया कि सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (MVA Govt) जिसमें शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं, मौजूदा सियासी संकट से बच जाएंगे। उन्होंने कहा कि विद्रोहियों के समूह के भीतर भी बगावत हो सकती है। एक बार जब वे मुंबई वापस आएंगे, तो उन्हें पता चल जाएगा कि असल में विद्रोह कहां है।
इन कदमों और बयानों के भी हैं बड़े मायने
शिवसेना नेता संजय राउत के बयान के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल यह कि संजय राउत ने चुनाव का सामना करने की चुनौती क्यों दी। अभी कुछ ही दिन पहले राउत ने अपने बयान में बागियों से लौट आने की अपील करते हुए कहा था कि यदि वे लोग (बागी गुट) अगर वापस लौटते हैं तो पार्टी एमवीए से अलग होने पर विचार करेगी। राउत के इस बयान ने भी महाराष्ट्र के सियासी गलियारे में सनसनी मचा दी थी। सनद रहे बगावत के बाद ही उद्धव ठाकरे ने सीएम आवास को छोड़ दिया था। खैर आगे जो भी हो एकबात तो तय है कि इस सियासी संकट हल्के में नहीं लिया जा सकता है।