नई दिल्ली। नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों के अवैध तरीके से फोन टैपिंग के मामले में मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त संजय पांडेय पर सीबीआइ का शिकंजा कस गया है। गृहमंत्रालय के कहने के बाद सीबीआइ ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कर मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, पुणे और कोटा में कुल 18 स्थानों पर छापा मारा। इस मामले में पहले से एनएसई घोटाले में फंसी पूर्व सीइओ चित्रा रामाकृष्णा को भी आरोपी बनाया गया है।
सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार संजय पांडेय और एनएसई के तत्कालीन अधिकारियों ने एक साजिश के तहत 2009 से 2017 के बीच एक्सचेंज में काम करने वाले कर्मचारियों का टेलीफोन टेप किया था। टेलीफोन टैपिंग के लिए गृहमंत्रालय की जरूरी अनुमति लिए बिना संजय पांडेय ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज में साइबर हमले के खतरे की समय-समय पर अध्ययन की आड़ में टेलीफोन टैपिंग को अंजाम दिया था। इसके लिए संजय पांडेय की कंपनी आइएसईसी का इस्तेमाल किया गया।
दरअसल संजय पांडेय ने वर्ष 2000 में नौकरी से इस्तीफा देकर दिल्ली में इस कंपनी का पंजीकरण कराया था। लेकिन 2006 में इस्तीफा नामंजूर होने के बाद संजय पांडेय ने मुंबई पुलिस में दोबारा काम शुरू कर दिया और कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने कंपनी में अपनी मां और बेटे को निदेशक बना दिया। सीबीआइ के अनुसार 2009 में एनएसई ने संजय पांडेय की कंपनी के साथ कुछ सर्विसेस के लिए समझौता किया और इसके तहत की एनएसई के कर्मचारियों के टेलीफोन टेप किये जाने लगे। इसके लिए एनएसई में बाकायदा उपकरण लगाए गए। ईएसइएसी कर्मचारियों की बातचीत को लिखित में एनएसई के अधिकारियों को मुहैया कराता था।