दरअसल, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई अन्य राज्यों के प्रमुख शहरों की कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से 1380 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। इसके ऊपर लगभग 95 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। काम बेहतर तरीके से हो, इसके लिए प्रोजेक्ट को कई हिस्सों में बांटा गया है। काम निर्धारित समय के दौरान पूरा हो, इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से लेकर एनएचएआइ की चेयरपर्सन अलका उपाध्याय तक समय-समय पर समीक्षा बैठक करती रहती हैं।
इसी दिशा में कुछ दिन पहले जम्मू में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों से संबंधित एनएचएआइ के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक चेयरपर्सन अलका उपाध्याय ने ली थी। बैठक में अलीपुर से लेकर दौसा तक के भाग को 15 अगस्त तक हर हाल में चालू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसे ध्यान में रखकर पूरी ताकत झोंक दी गई है।
आठ लेन का एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे
दिल्ली से मुंबई तक फिलहाल आठ लेन का एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है। आगे इसकी चौड़ाई आसानी से बढ़ाई जा सकेगी क्योंकि 21 मीटर चौड़ाई की मीडियन बनाई जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर मीडियन को घटाकर एक्सप्रेस-वे को 12 लेन तक किया जा सकता है।
बता दें कि फिलहाल दिल्ली से मुंबई कार से जाने में 24 घंटे लगते हैं। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद जहां लगभग 130 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। वहीं केवल 12 घंटे में दूरी तय की जा सकेगी। एक्सप्रेस-वे पर औसतन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से गाड़ियां दौड़ सकेंगी। इस हिसाब से बनाया जा रहा है।