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पर्यावरण के लिहाज से अहम होगा संसद का मानसून सत्र, सरकार लाने जा रही ये महत्वपूर्ण कानून


नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र काम- काज के लिहाज से भले काफी छोटा है। जिसमें सिर्फ 18 बैठकें ही प्रस्तावित है, लेकिन सरकार की कोशिश इस सत्र को ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बनाने की है। सभी मंत्रालय को इसके लिए तैयारी रखने के लिए कहा गया है।

फिलहाल पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े लंबित विधेयकों पर विशेष फोकस किया गया है। जिसमें ई-कचरा, पर्यावरण कानूनों में बदलाव जैसे विधेयक शामिल है। वैसे भी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय इन सभी विधेयकों की तैयारी में लंबे समय से जुटा हुआ है। इससे जुड़े मसौदे को अंतिम रूप दिया गया है। साथ ही लोगों की राय भी ली जा चुकी है। पर्यावरण मंत्रालय की मानें तो इन विधेयकों के लिए इनसे जुड़े कानूनों को और सख्त बनाया जाएगा। जिसमें भारी जुर्माने के साथ ही सख्त सजा का भी प्रावधान किया गया है।

‘सिंगल यूज प्लास्टिक’ पर स्थिति स्पष्ट करेगी सरकार

इसके साथ ही इस सत्र में सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक पर एक जुलाई से लगाए गए प्रतिबंध पर भी स्थिति स्पष्ट कर सकती है, क्योंकि विपक्ष इस प्रतिबंध को मुद्दा बनाने में जुटा है। वह केंद्र पर बगैर किसी तैयारी के इसे थोपने का आरोप लगा रहे है। हालांकि मंत्रालय का इस मुद्दे पर साफ कहना है कि वह सभी हितधारकों को पहले से इसे लेकर सूचित कर चुकी है। साथ ही उन्हें इसके विकल्प मुहैया करा चुकी है।

 

ई-कचरा प्रबंधन को लेकर लाया जाएगा नया कानून

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल जो तैयारी है, उसमें पर्यावरण के लिहाज से संसद का यह मानसून सत्र काफी उपयोगी साबित हो सकता है। इसमें ई-कचरा प्रबंधन को लेकर नया कानून लाया जाएगा। जिसमें ई-कचरा फैलाने पर भारी जुर्माने सहित सजा का प्रावधान किया गया है। हालांकि इस नए प्रस्तावित कानून के तहत ब्रांड उत्पादकों को ई-कचरा के संग्रहण व उसके निस्तारण की सीधी जवाबदेही से मुक्त कर दिया है। इसकी जगह उन्हें हर साल रि-साइक्लर से तय क्षमता के ई-कचरे को नष्ट करने का प्रमाण पत्र खरीदना होगा। इसके आधार पर ही उन्हें अगले साल के लिए ई-बेस्ट पैदा करने वाले उत्पादों के उत्पादन की अनुमति मिलेगी।

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों पर लगेगा जुर्माना

वहीं अधिकृत रि-साइक्लर ही अब कचरे का संग्रहण करने और उसे नष्ट कर सकेगा। इसके साथ ही जल संरक्षण और पर्यावरण को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वालों को चिन्हित किया जाएगा। साथ ही उन पर भारी जुर्माना लगेगा। जो पांच करोड़ तक प्रस्तावित किया गया है। गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय के अंदर पर इस सभी सुधारों पर लंबे समय से चर्चा हो रही है।