इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.12 पर कारोबार कर रहा था, जबकि पिछले कारोबारी सत्र में यह 79.52 बंद हुआ था। डॉलर की कमजोरी और इनलाइन सीपीआई डाटा (खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े) जारी होने के बाद रुपये में मजबूती आई।
क्यों मजबूत हुआ रुपया
एलकेपी सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी ने कहा कि अमेरिकी मुद्रास्फीति के आज शाम को जारी होने वाले आंकड़ों को देखते हुए डॉलर पर दबाव घटा है। अमेरिका में मुद्रास्फीति के 8.1 प्रतिशत तक आने की उम्मीद है, जबकि पहले इसके 8.5 प्रतिशत पर बने रहने की संभावना जताई जा रही थी।
ये आंकड़े डॉलर को नकारात्मक रैली दे रहे हैं। मुद्रास्फीति के घटने से फेड पर दबाव कम पड़ेगा। इससे डॉलर की मांग भी कमजोर होगी। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि फेड अपनी दरों में 0.75 बीपीएस की वृद्धि कर सकता है, लेकिन अगर मुद्रास्फीति में गिरावट आती है तो यह बढ़ोतरी 0.50 या 0.25 तक ही होगी।
कैसा है डॉलर इंडेक्स का हाल
डॉलर इंडेक्स, जो छह मुद्राओं के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत का अनुमान लगाता है, 0.26 फीसद गिर गया। खबर लिखे तक घरेलू इक्विटी बाजार में, सेंसेक्स 470.64 अंक या 0.78 प्रतिशत बढ़कर 60,585.77 पर और निफ्टी 137.95 अंक या 0.77 प्रतिशत बढ़कर 18,074.30 पर कारोबार कर रहा था।
बता दें कि खाद्य कीमतों में तेजी के कारण सउपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) अगस्त में बढ़कर 7 प्रतिशत हो गया, जो जुलाई में 6.71 प्रतिशत था। यह लगातार आठवां महीना है, जब महंगाई की दर केंद्रीय बैंक के 6 प्रतिशत के अधिकतम टॉलरेंस बैंड से ऊपर बनी हुई है। सरकार ने मार्च 2026 को समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि के लिए आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति को 2 से 4 प्रतिशत के बीच बनाए रखना अनिवार्य कर दिया है।