नई दिल्ली, : अशोक गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय होने के साथ ही राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए सियासी दौड़ तेज हो गई है। गहलोत के उत्तराधिकारी के तौर पर सचिन पायलट की स्वाभाविक दावेदारी के बीच उनके समर्थक विधायकों की संख्या बढ़ने लगी है।
गहलोत खेमे के भी कुछ विधायकों और मंत्रियों ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की पैरोकारी की है। मंत्री राजेंद्र गुढा ने तो सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में पायलट को स्वीकार करने को तैयार हैं।
पायलट के सामने सबसे बड़ी चुनौती गहलोत
पायलट के मुख्यमंत्री बनने की राह में सबसे बड़ी चुनौती अशोक गहलोत हैं और ऐसे में उनके कैंप के विधायकों-मंत्रियों का नरम स्वर स्वाभाविक रूप से पायलट के लिए राहत की बात है। कांग्रेस नेतृत्व विशेषकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा राजस्थान की सत्ता की कमान पायलट को सौंपे जाने के पक्ष में हैं।
80 प्रतिशत विधायक गहलोत के समर्थक
गहलोत और पायलट के बीच दो साल पहले हुई सियासी जंग के दौरान प्रियंका ने ही पायलट को समझाने में अहम भूमिका निभाई थी और राहुल ने उन्हें सम्मानजनक तरीके से वापसी का भरोसा दिया था। पायलट के सामने चुनौती अब भी यही है कि करीब 80 प्रतिशत विधायक गहलोत के समर्थक हैं।
सीपी जोशी समेत कई गहलोत समर्थकों विधायकों से की मुलाकात
पायलट ने अपनी तरफ से गहलोत खेमे के साथ गिले शिकवे दूर करने की कोशिशें तेज कर दी है। पिछले कुछ दिनों के दौरान उन्होंने गहलोत के करीबी नेताओं विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, गुजरात कांग्रेस के प्रभारी सूबे के वरिष्ठ नेता रघु शर्मा, धर्मेद्र राठौड़ और प्रताप खाचरियास से मुलाकात की है।
चूंकि गहलोत ही कांग्रेस के अगले हाईकमान बनने वाले हैं ऐसे में पायलट के लिए भी यही मुफीद है कि पुरानी रंजिशों को दफन कर नई शुरुआत की जाए।