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SC : लाइव स्ट्रीमिंग के पहले ही दिन 8 लाख लोगों ने देखी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई


 नई दिल्ली। : 27 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट के लिए ऐतिहासिक माना जाएगा, क्योंकि इस दिन से संविधान पीठों में होने वाली सुनवाइयों का सीधा प्रसारण शुरू कर दिया गया। कोर्ट ने पारदर्शिता की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए राष्ट्रीय महत्व के मुकदमों का सीधा प्रसारण शुरू किया है।

सुनवाई का हुआ सीधा प्रसारण

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन संविधान पीठ बैठी थी। तीनों पीठों में दिनभर चली सुनवाई का सीधा प्रसारण हुआ। कोई भी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जाकर ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ का आइकान क्लिक कर सीधा प्रसारण देख और सुन सकता है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने बताया ‘ऐतिहासिक दिन’

सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान जारी कर इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि आठ लाख से ज्यादा लोगों ने सीधा प्रसारण देखा। कोर्ट नंबर एक में बैठी संविधान पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित ने की। इस पीठ ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुनवाई की। बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

दूसरी संविधान पीठ कोर्ट नंबर दो में बैठी थी। इसकी अध्यक्षता जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे। इस पीठ ने शुरुआत अधिकारियों की ट्रांसफर-पो¨स्टग का मुकदमा ‘दिल्ली बनाम भारत सरकार’ से की। कोर्ट ने इस मुकदमे पर नौ नवंबर से नियमित सुनवाई करने का फैसला किया है। इसी संविधान पीठ ने शिवसेना पर दावे को लेकर उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच विवाद की सुनवाई की।

 

तीसरी संविधान पीठ जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता में कोर्ट नंबर तीन में बैठी थी। इस पीठ ने बार काउंसिल के नियमों से संबंधित मुकदमे पर सुनवाई की। संविधान पीठ व्यापक महत्व के संवैधानिक और राष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित मामलों की सुनवाई करती है। संविधान पीठ में कम-से-कम पांच न्यायाधीश मुकदमे की सुनवाई करते हैं। इसके बाद मामले की गंभीरता या कानूनी मुद्दे को देखते हुए न्यायाधीशों की संख्या सात, नौ, 11 या उससे अधिक हो सकती है।

आम लोग देख सकेंगे सुनवाई

सीधा प्रसारण शुरू होने से अब आम लोग भी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई देख सकेंगे। गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर किस पक्ष का क्या रुख है, जनता प्रत्यक्ष रूप से जान सकेगी। लोगों की न्यायिक प्रक्रिया में दिलचस्पी बढ़ेगी। वे कानूनी प्रविधानों से अवगत होंगे।

वेबकास्ट के जरिये हुआ प्रसारण

मंगलवार को सुनवाई का प्रसारण वेबकास्ट के जरिये हुआ। सोमवार को वकील विराग गुप्ता द्वारा सुनवाई का यूट्यूब के जरिये प्रसारण होने पर कापीराइट का मुद्दा उठाया गया था। गुप्ता ने कोर्ट के 2018 के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट कापीराइट सरेंडर नहीं कर सकता। उनकी दलील पर प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ ने कहा कि जल्दी ही शीर्ष अदालत का अपना प्लेटफार्म होगा।

ठीक चार साल पहले खुला था रास्ता

27 सितंबर, 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की मंजूरी दी। तत्कालीन सीजेआइ दीपक मिश्रा ने कहा कि खुलापन ‘सूर्य की रोशनी’ की तरह है, जो ‘सर्वश्रेष्ठ कीटाणुनाशक’ है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर को फुल कोर्ट मीटिंग में सर्वसम्मति से इस सिलसिले में फैसला लिया था।