अलीगढ़। साइबर ठगी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। गौंडा इलाके में नौकरी तलाश रहे युवक से एफसीआइ में नौकरी लगवाने के नाम पर टुकड़ों में रुपये पौने सात लाख ऐंठ लिए। इसके साथ ही ठग ने उसे फर्जी नियुक्ति पत्र तक थमा कर नौकरी के लिएच भी भेज दिया। पीडित ने इस मामले में एसएसपी से न्याय की गुहार लगाई है।
कैसे हुआ ठगी का शिकार
गौंडा के गांव गिडौरा निवासी रतनेश चैधरी 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद नौकरी तलाशने में जुट गए। रतनेश ने एसएसपी को दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि पिछले साल रिश्तेदार से मुलाकात हुई थी, जिसने चार माह के अंदर एफसीआइ में नौकरी लगवाने का झांसा दिया। उसका कहना था कि उसने बुलंदशहर में रहने वाले साले की नौकरी लगवाई है। आरोपित ने सात लाख रुपये की मांग रखीं, रिश्तेदार होने के नाते रतनेश झांसे में आ गया और उसने 10 अप्रैल 2020 को शैक्षिक प्रमाण पत्र देने के साथ 20 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर किए। फिर तीन जुलाई 2020 को 45 हजार रुपये बैंक में ट्रांसफर किए। 15 जुलाई को परिचित के माध्यम से दो लाख रुपये दे दिए। इसके बाद आरोपित ने कहा कि आपकी नौकरी लग गई है।
हाजिरी न लगी तो की पडताल
आइडी कार्ड भी जारी होने की बात कहते हुए उसने दो लाख रुपये मांगे। इस पर 30 अगस्त, 20 को आरोपित तीन अन्य लोगों के साथ घर पर आया। तब फिर दो लाख रुपये दिए। इसके बाद एफसीआइ का कार्ड जारी करवा दिया। नरेला में भेजना शुरू कर दिया, वह युवक की हाजिरी न लगी तो दो लाख रुपये फिर मांगे। इस पर सितंबर में दो लाख रुपये नकद दिए। इसके बाद भी उसकी हाजिरी नहीं लगी तो उसने रिश्तेदार को फोन किया लेकिन उसने फोन उठाना बंद कर दिया। जब रतनेश ने दफ्तर में जानकारी की तो पता चला कोई नियुक्ति नहीं हुई और कार्ड भी फर्जी है। एसएसपी मुनिराज ने मामले में साइबर सेल को जांच के निर्देश दिए हैं।