संयुक्त राष्ट्र, । संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित कर तालिबान पर अफगानिस्तान को तबाह करने का आरोप लगाया है। प्रस्ताव में कहा गया कि तालिबान अफगानिस्तान में महिलाओं एवं लड़कियों के मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। उसके शासन में यह देश गंभीर आर्थिक, मानवीय एवं सामाजिक स्थितियों में फंस गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया है कि गत वर्ष अगस्त में तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ और तब से देश में हिंसा जारी है। अलकायदा एवं इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों के साथ ही विदेशी आतंकी भी देश में मौजूद हैं।
इन देशों ने नहीं किया मतदान
संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी की राजदूत अंटजे लींडेर्टसे ने आशा व्यक्त की थी कि जर्मनी द्वारा पेश प्रस्ताव को 193 सदस्यीय महासभा ध्वनिमत से मंजूरी देगा। हालांकि प्रस्ताव पर मतदान का आग्रह किए जाने के बाद यह 116-0 से स्वीकार किया गया। रूस, चीन, बेलारूस, बुरुंडी, उत्तर कोरिया, इथोपिया, गिनी, निकारागुआ, पाकिस्तान और जिंबाब्वे समेत 10 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। जबकि 67 देशों ने मतदान नहीं किया।
मानवाधिकारों के उल्लंघन पर व्यक्त की गई गहरी चिंता
मतदान से पहले जर्मन राजदूत ने महासभा में कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान ने बड़े पैमाने पर आर्थिक तथा मानवीय संकट देखा है, जिससे आधी आबादी गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है। इस प्रस्ताव में महिलाओं तथा लड़कियों के खिलाफ दुष्कर्म समेत मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी है।
महिलाओं को पार्क और जिम में जाने पर रोक
लड़कियों के लिए छठी कक्षा से आगे की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा चुके तालिबान ने गुरुवार को महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी रोक लगा दी। मालूम हो कि सुरक्षा परिषद की तुलना में महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं लेकिन वे दुनिया की राय को दर्शाते हैं।