मुंबई, । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नियमों को न मानने के आरोप में जोरास्ट्रियन को-ऑपरेटिव बैंक, बॉम्बे पर 1.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने ये जुर्माना नियमों को न मानाने के चलते लगाया है। प्रतिबंधित साख पत्र और सहकारी बैंक नियम, 1985 के प्रावधानों के तहत बैंक ने ये कदम उठाया है।
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा है कि यह जुर्माना आरबीआई में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। आरबीआई ने कहा है कि यह कार्रवाई नियमों को न मानने के कारण हुई। रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसका अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल उठाने का कोई इरादा नहीं है।
क्या कहा आरबीआई ने
आरबीआई के बयान में कहा गया है कि बैंक का वैधानिक निरीक्षण आरबीआई द्वारा 31 मार्च, 2020 तक अपनी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किया गया था, और बाहरी ऑडिटर द्वारा फॉरेंसिक ऑडिट जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच की गई थी। आरबीआई ने कहा कि इस मामले में सभी संबंधित पत्राचार से पता चला है कि बैंक यूसीबी द्वारा बिलों के भुगतान पर केंद्रीय बैंक के निर्देशों का पालन करने में विफल रहा है।
प्रतिबंधित साख पत्र (एलसी) और नियमों के प्रावधान बिना रेजिडेंट बिल से संबंधित है। जोरास्ट्रियन को-ऑपरेटिव बैंक अंतर्निहित लेन-देन/दस्तावेजों की वैधता और बीते आठ वर्षों के दौरान अपने रिकॉर्ड को अच्छी स्थिति में संभालकर नहीं रख सके। पहले बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उसे कारण बताने को कहा गया था कि आरबीआई के निर्देशों/नियमों का पालन न करने पर उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए।
जवाब से संतुष्ट नहीं आरबीआई
बैंक ने नोटिस का जवाब दिया, लेकिन आरबीआई उससे संतुष्ट नहीं हुआ। मामले की सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद आरबीआई ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई के निर्देशों / नियमों का पालन न करने का आरोप सही है और बैंक इसके लिए दंड का भागी है।