न्यूयॉर्क भारत जी-20 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता सहित विश्व के बड़े देशों की सूची में जगह बना रहा है। देश विश्व की कठिनाइयों का समाधान लाने के लिए तैयार है और इसके लिए हमेशा तत्पर रहा है। यह बात यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कही। उन्होंने कहा कि चाहे कोरोना काल हो या कोई भी वैश्विक समस्या भारत कभी दुनिया की मदद के लिए पीछे नहीं रहा है।
लोकतंत्र पर हमें ज्ञान न दें
भारत में लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता पर एक सवाल के जवाब में रुचिरा कंबोज ने कहा, “हमें यह बताने की जरूरत नहीं है कि लोकतंत्र पर क्या करना है।” भारत में लोकतंत्र की जड़ें 2500 साल पहले से थीं, हम हमेशा से लोकतंत्र थे। रुचिरा कंबोज ने कहा है कि भारत को यह बताने की जरूरत नहीं है कि लोकतंत्र पर क्या किया जाए।
UNSC में भारत स्थायी सीट का हकदार
जब यूएनएससी सुधारों और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट के बारे में पूछा गया, तो कंबोज ने कहा कि भारत एक ऐसे देश के रूप में विश्व के बड़े देशों में शुमार हो रहा है जो सबके लिए समाधान लाने को तैयार है। हमारी विदेश नीति का केंद्रीय सिद्धांत मानव-केंद्रित है और वही रहेगा।
UNSC में लंबे समय से उठाई सुधारों की आवाज
कंबोज ने कहा कि भारत यूएनएससी में लंबे समय से लंबित सुधारों के लिए अग्रणी आवाजों में से एक रहा है और इसलिए यह निश्चित रूप से स्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र के उच्चतम स्तर पर एक पद का हकदार है। बता दें कि सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन के प्रस्ताव को लगभग दो दशकों से अधिक समय हो गया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में गतिरोध का सामना करना पड़ा है। फिलहाल सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य हैं और 10 दो साल के कार्यकाल के लिए चुने गए हैं।
भारत आशा के एक बिंदु के रूप में उभरा
राजदूत कंबोज ने संवाददाताओं से कहा कि भले ही दुनिया एक महामारी से जूझ रही है और बहुपक्षवाद तनाव में है, भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर आशा के एक बिंदु के रूप में उभरा है। पिछले 2 वर्षों में जब दुनिया एक संकट से गुजर रही थी, जैसे कि COVID और इस तरह के अन्य मामलों के दौरान भारत हमेशा एक समाधान प्रदाता के रूप में रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा भारत
भारत ने गुरुवार को दिसंबर महीने के लिए 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता ग्रहण की, जिसके दौरान वह आतंकवाद का मुकाबला करने और बहुपक्षवाद में सुधार पर हस्ताक्षर कार्यक्रमों की मेजबानी करेगा। इस अध्यक्षता के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के शक्तिशाली अंग के निर्वाचित गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल भी समाप्त होगा।