पटना: बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हनुमंत कथा का आज यानी सोमवार को तीसरा दिन है। रविवार को चार लाख से ज्यादा की भीड़ को देखते हुए सोमवार को लगने वाले दिव्य दरबार को रद्द कर दिया गया है, लेकिन सोमवार को लाखों की भीड़ और परेशान होते भक्तों को देखकर बागेश्वर बाबा यानी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सोमवार दोपहर 12 बजे से दिव्य दरबार लगाया, जिसमें वे दूर-दूर से आए लोगों की अर्जी को सुन रहे हैं।
दिव्य दरबार शुरू करने से पहले धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हिंदुओं में एकता हो तो उसका नजारा क्या होता है, इसका नजारा देखना हो तो आओ कुछ दिन गुजारो बिहार में। बिहार के लोगों को पिछड़े और बिछड़े कहा जाता था, बिहार के लोगों को पिछड़े और बिछड़े नहीं है, बल्कि भक्ति से भरे हुए लोग हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें तो ऐसा लग रहा है कि भारतीय हिंदू राष्ट्र की ज्वाला बिहार से धधक रही है। एक दिन ऐसा आएगा। पूरा भारत राममय होगा। उन्होंने कहा कि मेरे बिहार के पागलो, अब तुमको इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। हम आपको भूतों से नहीं, भगवान से मिलवाने आए हैं।’
रविवार को कथा के दौरान करीब 100 लोगों की तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद बाबा ने खुद भक्तों से कथा में आने से मना किया था। उन्होंने लोगों से टीवी पर कथा सुनने की अपील की थी। इसके बावजूद, लाखों की संख्या में भक्त सुबह से ही कथा पंडाल में मौजूद हैं। भीड़ को देखते हुए बागेश्वर बाबा का कथा कार्यक्रम रविवार से ही पल-पल बदल रहा है।
रविवार को हनुमंत कथा को डेढ़ घंटे पहले रद्द कर दिया था। सोमवार को दोपहर 12 बजे से 4 बजे के बीच प्रस्तावित दिव्य दरबार स्थगित करने की घोषणा 16 घंटे पहले ही कर दी गई। इसके बाद सोमवार सुबह 11 बजे मीडिया को कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए होटल में आमंत्रित किया गया था, लेकिन उसे भी स्थगित कर दिया गया है। फिर 12 बजे से दिव्य दरबार लगाया गया, जिसमें पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अर्जी पर सुनवाई शुरू कर दी।
प्रशासन ने कराया इंतजाम
रविवार को पंडाल में भीड़ प्रबंधन के लिए सेक्टर और गलियारा का निर्माण नहीं किया गया था, जिसके कारण पूरी भीड़ मंच के आगे दबाव बना रही थी। आपदा प्रबंध में परेशानी को देखते हुए प्रशासन ने आयोजक से भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेडिंग कराया है। डी एरिया को पुलिस ने खाली करा दिया है।
आयोजक समिति का कहना है कि फिलहाल 6 लाख से ज्यादा भक्त मौजूद हैं, जिनके लिए 3 लाख स्क्वायर फीट में बना जर्मन पंडाल भी छोटा पड़ रहा है।