पटना। भाजपा से राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने दावा किया है कि जदूय में जल्द ही भगदड़ मचने वाली है। उनका दावा है कि जदयू के कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।
मीडिया कर्मियों से रविवार को बात करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में भी बगावत की स्थिति बन रही है। क्योंकि नीतीश कुमार ने पिछले 17 साल में कभी भी विधायकों और सांसदों को मिलने के लिए एक मिनट का भी समय नहीं दिया।
साल-साल भर लोगों को इंतजार करना पड़ता था। अब वो प्रत्येक विधायक-सांसद को आधा-आधा घंटे का समय दे रहे हैं।
विशेष करके नीतीश कुमार ने जब से राहुल गांधी को एक प्रकार से अगली लड़ाई के लिए नेता स्वीकार कर लिया और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना दिया। तब से जनता दल (यू) में विद्रोह की स्थिति है।
कोई भी जनता दल (यू) का विधायक-सांसद न तो राहुल गांधी को स्वीकार करने के लिए तैयार है और न ही तेजस्वी यादव को।
देखिए, बड़ी संख्या में जो सांसद हैं, उनको मालूम है कि उनका टिकट कटने वाला है। पिछली बार 17 सीट मिली थीं।
क्या इस बार जनता दल (यू) को 17 सीट मिलेंगी और इसलिए आज की स्थिति में आठ-दस सीट से ज्यादा मिलने की कोई गुंजाइश नहीं है।
जो सांसद हैं उनको भी लगता है कि उनका भविष्य क्या होगा? फिर नीतीश कुमार के बाद जनता दल (यू) का कोई भविष्य नहीं है।
इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि जनता दल (यू) के कई विधायक-सांसद भाजपा के संपर्क में हैं। इसके अलावा उन्होंने बीते रोज एक ट्वीट भी किया था।
इस ट्वीट में उन्होंने महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी राकांपा में हुए विद्रोह का उल्लेख करते हुए कहा था कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसी स्थिति बन सकती है।
बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा खेल होगा: मोदी
मोदी ने कहा कि शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में विद्रोह पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक का परिणाम है, जिसमें राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही थी।
विपक्ष का यह सारा उपक्रम धरा का धरा रह जाएगा। उसे कोई परिणाम नहीं मिलने वाला, क्योंकि आने वाले दिनों में बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा खेल होगा।
सत्तारूढ़ महागठबंधन के कई सांसद-विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और वे यथाशीघ्र राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ होना चाहते हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में भी महाराष्ट्र-जैसी स्थिति बन सकती है, इसे भांप कर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधायकों से अलग-अलग (वन-टू-वन) बात शुरू की। जदयू के विधायक-सांसद न राहुल गांधी को स्वीकार करेंगे, न तेजस्वी यादव को।
पार्टी में भगदड़ की आशंका है। जदयू पर अस्तित्व को बचाने का ऐसा संकट पहले कभी नहीं था, इसलिए नीतीश कुमार ने 18 वर्ष में कभी विधायकों-सांसदों को नहीं पूछा।
आज वे हरेक से अलग से मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जदयू यदि महागठबंधन में रहा, तो टिकट बंटवारे में उसके हिस्से लोकसभा की 10 से ज्यादा सीटें नहीं आएगी।
विपक्ष की महाबैठक अब 17-18 जुलाई को होगी
इधर, विपक्षी एकजुटता को लेकर बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की दूसरी महाबैठक की तारीख फिर बदल गई है। अब यह बैठक 17 व 18 जुलाई को होगी।
विपक्ष के राजनीतिक दिग्गजों की अपने राज्य में व्यस्तता की वजह से महाबैठक की तारीख में दूसरी बार बदलाव किया गया है।
पटना में 23 जून को विपक्षी एकता की पहली महाबैठक में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि 12-13 जुलाई को शिमला में विपक्ष की दूसरी महाबैठक होगी।
उक्त बैठक में यह तय होगा कि किस तरह से भाजपा के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तथा सीटों के बंटवारे का क्या आधार होगा।
विपक्षी एकजुटता के अभियान को लेकर संयोजक का नाम तय किए जाने पर भी निर्णय होना है।
इसके बाद एनसीपी नेता शरद पवार ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि महाबैठक 14-15 को होगी और शिमला की जगह आयोजन बेंगलुरु में होगा।
वहीं, अब यह बैठक 17-18 तारीख को होगी। वैसे आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं हुई है।