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पिछड़ों को लेकर और मुखर होगी BJP; OBC के लिए सरकार के कामकाज गिनाएगी पार्टी


नई दिल्ली: बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी होते ही आइएनडीआइए (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) ने इसे ‘ओबीसी कार्ड’ के रूप में चलने की मंशा दिखाई है तो भाजपा ने भी विपक्ष के दांव को पंक्चर करने की रणनीति तैयार रखने के संकेत दे दिए हैं।

भाजपा से ओबीसी वोट को दूर करने के प्रयासों को लेकर सतर्क भगवा खेमा मोदी सरकार के ओबीसी के लिए किए गए कार्यों के तीर से विपक्ष के प्रहारों को कुंद करेगा।

विपक्षी दलों पर होगा पलटवार

भाजपा की रणनीति है कि अब और मुखर होकर विपक्षी दलों से प्रश्नों का पलटवार किया जाएगा कि उन्होंने अपने शासनकाल में पिछड़ों के लिए क्या किया? जबकि मोदी सरकार के पास इस वर्ग के लिए किए गए काम का पूरा बही-खाता है।

2024 के चुनावी समर में उतरने से पहले विपक्षी दलों ने कांग्रेस के सहयोग से जातीय जनगणना को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की है जिसका लक्ष्य भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाना है। चुनावी परिणामों से बार-बार स्पष्ट हो चुका है कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पिछड़ा वर्ग मजबूती से भाजपा के पाले में जा खड़ा हुआ है।

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ओबीसी के नेताओं की बड़ी संख्या

सर्वाधिक आबादी वाले इस वर्ग को सहेजने में भी भगवा खेमे ने कोई कोताही नहीं बरती है। ओबीसी को राजनीतिक भागीदारी की बात करें तो सरकार से संगठन तक में इस वर्ग के नेताओं की बड़ी संख्या है। समय-समय पर इसे बताने से भी भाजपा गुरेज नहीं करती कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओबीसी वर्ग से आते हैं।

चूंकि, जातीय जनगणना के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इससे ‘जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी भागीदारी’ की नीति पर चलना संभव होगा। इसका जवाब भाजपा सड़क से संसद तक देती आ रही है कि आबादी के अनुसार ही केंद्र से लेकर भाजपा शासित राज्यों में भी ओबीसी वर्ग के जनप्रतिनिधियों की भागीदारी पहले की सरकारों की तुलना में कहीं अधिक है।

 

केंद्रीय मंत्रिमंडल में 27 मंत्री ओबीसी से शामिल

पार्टी का दावा है कि भाजपा के 303 में से 85 सांसद, 1358 विधायकों में 27 प्रतिशत विधायक ओबीसी वर्ग से हैं। इसी तरह पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में 27 मंत्री इस वर्ग से शामिल किए गए हैं। ओबीसी के हित में चलाई गई कल्याणकारी योजनाओं का भी बही-खाता तैयार कर भाजपा बैठी है।

सरकार का आंकड़ा कहता है कि बेशक, किसान सम्मान निधि योजना सभी वर्गों के लिए है, लेकिन इसका सर्वाधिक लाभ ओबीसी को हुआ है। इस योजना से ओबीसी वर्ग के 4.20 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। इसी तरह मुद्रा लोन के लाभार्थियों में 35 प्रतिशत युवा पिछड़ा वर्ग से हैं।

ओबीसी छात्रों को 27 प्रतिशत आरक्षण

चिकित्सा शिक्षा में पहली बार ओबीसी छात्रों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला है। केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल आदि में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। पहली बार ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा भाजपा सरकार में दिया गया।

पार्टी नेताओं का कहना है कि विपक्ष का यह दांव ओबीसी वर्ग के दिमाग से इस वास्तविकता को नहीं मिटा सकता कि इस वर्ग के लिए सबसे अधिक काम भाजपा की मोदी सरकार ने किया है। जातीय जनगणना की पैरोकारी करने वालों को जनता के बीच बताना होगा कि जब उनकी सरकारें थीं, तब उन्होंने इस वर्ग के हित में क्या-क्या कदम उठाए।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने यह बयान देकर भाजपा की रणनीति का संकेत भी दे दिया कि ‘नीतीश कुमार को 15 साल और लालू प्रसाद यादव को 18 साल के अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों का क्या उद्धार किया?’