नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले की कड़ी आलोचना की, जिसमें युवा लड़कियों को यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह दी गई थी। साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार और अन्य को इस मामले में नोटिस भी जारी किया है।
यौन इच्छाओं पर दिया था तर्क
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के कुछ हिस्से, जिसमें कहा गया था कि किशोरियों को दो मिनट के आनंद के बजाय अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए, वह काफी आपत्तिजनक और पूरी तरह से अनुचित है।”
मामले की जांच के लिए न्यायधीश की नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि शुरुआती जांच से लग रहा है कि न्यायाधीशों से अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने या उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती है। शीर्ष अदालत ने अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान को न्याय मित्र नियुक्त किया और अधिवक्ता लिज मैथ्यू को न्याय मित्र की सहायता के लिए नियुक्त किया है।
‘दो मिनट के सुख के लिए’
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये टिप्पणियां पूरी तरह से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किशोरों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया। दरअसल, हाई कोर्ट ने टिप्पणी में कहा था, “प्रत्येक महिला किशोरी को यौन इच्छा पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि बमुश्किल दो मिनट के यौन सुख का आनंद लेने के कारण वह समाज की नजरों में हार जाएंगी।”
राज्य सरकार को जारी हुआ नोटिस
साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य की अन्य पार्टियों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को यह बताने को कहा कि क्या फैसले के खिलाफ अपील दायर की जाएगी।