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सीएम योगी ने की ‘एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था’ के लिए जारी प्रयासों और परिणामों की समीक्षा,


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेश को एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने के संकल्प की पूर्ति की दिशा में जारी प्रयासों, अब के परिणामों और भावी नीति पर विमर्श किया। नियोजन विभाग द्वारा आयोजित की बैठक में प्रदेश सरकार के विभिन्न मंत्रीगणों की उपस्थिति रही। बैठक में नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव और फाइनेंस सेक्टर की कंसल्टिंग कंपनी डेलॉयट के प्रतिनिधियों ने विस्तार से प्रदेश के आर्थिक परिवेश की वर्तमान स्थिति और संभावित भावी परिणाम, उद्योग जगत की अपेक्षाओं आदि के संबंध में सेक्टरवार विस्तार से जानकारी दी।

मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश….

विगत साढ़े 06 वर्षों के नियोजित प्रयासों से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था आज सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ स्थिति में है। 2021-22 में प्रदेश की कुल जीडीपी 16.45 लाख करोड़ थी जो आज 2022-23 में 22.58 लाख करोड़ से अधिक हो गई है। राष्ट्रीय आय में उत्तर प्रदेश 9.2% का योगदान कर रहा है। उत्तर प्रदेश आज देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश के विकास का ग्रोथ इंजन बन रहा है।

प्रदेश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के राष्ट्रीय मानकों का आंकलन करें इसमें भी हमें अपने प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। 2021-22 में प्रचलित भावों पर उत्तर प्रदेश की वृद्धि दर 20.1% रही, जबकि देश की विकास दर 18.4% रही। जबकि स्थायी भाव पर राष्ट्रीय वृद्धि दर 9.1% रही, जबकि प्रदेश में 9.8% की वृद्धि दर दर्ज की गई। इसी प्रकार, 2022-23 में स्थायी भाव पर राष्ट्रीय वृद्धि दर 7.2% रही, जबकि प्रदेश में 9.8% की वृद्धि दर दर्ज की गई और प्रचलित भाव पर 14.3% वृद्धि दर रही।

वर्तमान स्थिति में 2023-24 में प्रदेश की जीडीपी 25.55 लाख करोड़ से अधिक होने के अनुमान हैं, वर्ष 2027 तक वन ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य पूरा करने के लिए सभी विभागों को अपने प्रयास तेज करने होंगे। अपने कार्यों की और बेहतर प्लानिंग करनी होंगी। हमारी नीयत साफ है, लक्ष्य स्पष्ट है। सभी को मिलकर सही नीति और नियोजित क्रियान्वयन के लिए प्रयास करना होगा।

हमारी योजना लक्ष्य के अनुरूप हो, इसके लिए आंकड़ों का संग्रहण शुद्धता के साथ होना आवश्यक है। विभिन्न सेक्टर की स्थिति के सही आकलन के लिए विभागवार सांख्यकीय अधिकारियों के लिए कार्यशाला/प्रशिक्षण का आयोजन करें। हमारे पास पोटेंशियल है। आज अनुकूल अवसर हैं। इसका पूरा लाभ उठाना होगा। आर्थिक बेहतरी के लिए तय लक्ष्यों के सापेक्ष नियोजन विभाग द्वारा हर महीने सभी विभागों की प्रगति समीक्षा होनी चाहिए।

अर्थव्यवस्था के प्राथमिक खंड में सुधार के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का समावेश किया गया है। डिजिटल क्रॉप सर्वे जैसे प्रयास किए गए हैं। इसे सभी 75 जिलों में प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। गन्ना के अन्तर्गत क्षेत्रफल तथा उत्पादन के वर्ष 2021-22 में 26.8 प्रतिशत, औद्यानिक फसलों के उत्पादन में 31.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विभिन्न फसलों में उच्च प्रजाति की किस्मों के आँकड़ों का समावेश किया गया है। दलहन तथा तिलहन में उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये राज्य प्रायोजित स्कीमों का क्रियान्वयन के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। फसल विविधीकरण एवं बेहतर सप्लाई चेन मैनेजमेंट और बेहतर करने की आवश्यकता है।

दुग्ध उत्पादन में राज्य पुनः शीर्ष स्थान पर है। वार्षिक प्रगति दर 12.80% के साथ अण्डा उत्पादन में सर्वाधिक प्रगति करने वाला तीसरा राज्य है। यह प्रगति संतोषजनक है।

द्वितीयक खंड में इंडस्ट्रियल पॉवर कंजप्शन में 17.0% की वृद्धि हुई है। औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में स्थापित इकाइयों का सर्वेक्षण, अप्रयुक्त प्लॉटों का चिन्हीकरण। नये इन्डस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना हो रही है। 10 स्थानों पर प्लेज पार्क की स्थापना हो रही है।

होटल/रेस्टोरेंट, ट्रान्सपोर्ट, संचार, रियल एस्टेट, प्रोफेशनल सर्विस, लोक सेवा, रक्षा व अन्य सेवाओं वाले तृतीयक खंड में प्रदेश तेजी से तरक्की कर रहा है। पर्यटन सेक्टर से जुड़ी सेवाओं में अभूतपूर्व विकास हुआ है। 2023 में आई पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक पर्यटक आगमन वाला प्रदेश हो गया है।2022-23 में प्रदेश में 31.8 करोड़ पर्यटकों का आगमन हुआ। वाराणसी, मथुरा और अयोध्या इसके प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं। आने वाले दिनों में इसमें उत्तरोत्तर विकास सुनिश्चित है।

घरेलू पर्यटकों के साथ-साथ हमें विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनानी होगी। संभावित देशों को चिन्हित करें। प्रदेश की ब्रांडिंग के लिए इन देशों के अनुसार नीति तैयार करें।

2023-24 की प्रथम छमाही में वर्ष 2022-23 की प्रथम छमाही की तुलना में प्रदेश में पंजीकृत कुल वाहनों का भारत मे अंश 14.1% से बढ़कर 14.5% हो गया। 2021-22 की तुलना में 2022-23 में पंजीकृत कॉमर्शियल वाहनों में 47 फीसदी की वृद्धि रही। इसे और बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रयास किया जाना चाहिए।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के माध्यम से प्रदेश में कुल 40.0 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इसमें 11.8 लाख करोड़ के प्रस्ताव केवल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए है। यह प्रदेश के आर्थिक परिवेश में बड़ा उछाल लाने वाला होगा।

प्रदेश की बेहतर ब्रांडिंग, व्यापार अनुकूल माहौल और निर्यात प्रोत्साहन के प्रयासों का ही परिणाम है 2017.18 में जहां मात्र 0.89 लाख करोड़ का निर्यात था, वह आज बढ़कर 1.74 लाख करोड़ हो गया है।

प्रदेश की बेरोजगारी दर 2017-18 में जहां 6.2% थी आज 2.4% रह गई है। इसके साथ ही महिला श्रम बल में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। यह 2017-18 में 13.5% थी आज 2022-23 में 31.2% तक पहुंच गया है।

सिंचाई का रकबा बढ़ाने के हमारे प्रयासों ने किसानों की खेती की लागत कम की और आय में बढ़ोतरी हुई। लगभग 23 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सहज सुविधा मिली है। चीनी मिलों का आधुनिकीकरण तो हुआ ही है, शुगर कॉम्प्लेक्स बन रहे है। आज गन्ना उत्पादन में हम प्रथम स्थान पर हैं।

कृषि के साथ साथ हार्टिकल्चर और फिशरीज किसानों की आय बढ़ाने में बड़ा सहायक हो सकता है। हमें किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करना होगा। लैंडलॉक प्रदेशों की श्रेणी में फिशरीज सेक्टर में हमारे प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। फिशरीज के क्षेत्र में डिप्लोमा व अन्य डिग्री धारी युवाओं को तालाब आवंटन में वरीयता दी जानी चाहिए।

औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि की उपलब्धता प्राथमिक आवश्यकता है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में अपनी नीतियों को सरल किया है। लैंडबैंक विस्तार के लिए प्रयास तेज करने होंगे। सिक यूनिट को चिन्हित करें।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद में हमें निवेशकों से संपर्क-संवाद का क्रम जारी रखना चाहिए। नए सेक्टर-नए निवेशकों से भी संवाद करें। उन्हें प्रदेश की यूएसपी से अवगत करायें। इसके लिए डेडिकेटेड टीम होनी चाहिए। इन्वेस्टर आउटरीच को और बेहतर करने की आवश्यकता है।

फार्मा इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संस्थानों, रिसर्च लैब और इंडस्ट्री, तीनों क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसे में फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इनोवेशन इंस्टीच्यूट की स्थापना की जानी चाहिए। यह संस्थान मूलतः शोध और नवाचार पर केंद्रित होगा, साथ ही सेक्टर से संबधित अन्य संस्थानों व इंडस्ट्री के बीच सेतु का काम करेगा।

शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवारों की आर्थिक स्थिति और इंडस्ट्री का प्रादेशिक इंडेक्स तैयार कराएं। किस जनपद की क्या स्थिति है, कहाँ किस प्रकार की आवश्यकता है, इस इंडेक्स से पता लग सकेगा। इस दिशा में तत्काल प्रयास शुरू करें।

शहरों के नियोजित एवं सुस्थिर विकास के लिए आवास एवं उससे संबद्ध अवस्थापना सुविधाओं की उपलब्धता आवश्यक है। विगत साढ़े पांच वर्ष में प्रदेश में सुनियोजित शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। नए नगरीय निकाय गठित किए गए हैं। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा बदलाव आया है।

देश में सबसे बड़ा एमएसएमई सेक्टर उत्तर प्रदेश का है। एमएसएसई उद्योग के प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। 2016-17 में जहां मात्र 28 हजार करोड़ का ऋण वितरित किया जा सका वहीं 2023-23 में 1.5 लाख करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया। चालू वित्तीय वर्ष में यह 1.75 लाख ऋण उपलब्ध कराने की तैयारी है। इस सेक्टर को हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। हमारी ओडीओपी योजना निर्यात बढ़ोतरी का बड़ा आधार बन रही है। इनके प्रमोशन के लिए नए बाजार भी तलाशे जाएं।