नई दिल्ली। ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की अदालत ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा-अर्चना की इजाजत दी है। वहीं, अब सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाए हैं।
‘सही फैसला नहीं सुनाती अदालतें’
सपा नेता ने ज्ञानवापी मामले में आई अदालत के फैसले पर टिप्पणी की है। उन्होंने दावा किया है कि अदालतें कई मौकों पर सही फैसला नहीं सुनाती हैं। इस फैसले पर जुड़े सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अदालत के आदेशों का हमेशा विरोध होता है। क्या अदालत के फैसले हमेशा सही होते हैं।
रामगोपाल यादव से इस पर विस्तार से टिप्पणी को लेकर पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा कि कई मौकों पर ऐसा नहीं होता है, लेकिन सब कुछ बिल्कुल सही भी नहीं है। हर फैसला एक पक्ष के लिए सही होता है, जबकि दूसरे पक्ष के लिए गलत। बाद में उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट को ही फैसला करना है।
आप जानते हैं कि एक फैसला आया, कोई राज्यसभा में आया, किसी को आयोग का अध्यक्ष बनाया जाएगा। ऐसा ही होता है।
जल्दबाजी में आया फैसला: सैफुल्ला रहमानी
उधर, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी अदालत के फैसले से खुश नहीं है। बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी में जो हुआ, इससे मुस्लिमों के साथ अमन पसंद लोगों को भी धक्का पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अदालत ने ये फैसला जल्दबाजी में दिया है।