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कांवड़ियों के लिए गुड न्यूज, रेलवे दिल्ली से चलाएगा स्पेशल Trains, कब चलेंगी ये ट्रेनें?


नई दिल्ली। हरिद्वार में 22 जुलाई से 19 अगस्त तक कांवड़ मेला आयोजित होगा। कांवड़ मेला में जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन ने दिल्ली से दो विशेष ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। दो ट्रेनों को हरिद्वार तक विस्तार दिया गया है।

इसके साथ ही कई ट्रेनों में अतिरिक्त कोच भी लगाए जा रहे हैं। दिल्ली से चलने वाली मेला विशेष ट्रेनेंः हरिद्वार-पुरानी दिल्ली मेला विशेष ट्रेन 29 जुलाई से दो अगस्त तक हरिद्वार से अपराह्न पौने चार बजे रवाना होकर रात 8:50 बजे पुरानी दिल्ली पहुंचेगी।

वहीं, योगनगरी ऋषिकेश-पुरानी दिल्ली मेला विशेष ट्रेन 29 जुलाई से दो अगस्त तक योगनगरी ऋषिकेश से रात 8:35 बजे रवाना होकर अगले दिन तड़के सवा चार बजे पुरानी दिल्ली पहुंचेगी।

दिल्ली में इस बार कांवड़ यात्रा में साउंड सिस्टम लगाना होगा महंगा

इस बार कांवड़ यात्रा में साउंड सिस्टम का इस्तेमाल महंगा सौदा हो रहा है, क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार साउंड सिस्टम वालों ने किराए में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। ऐसे में बड़ी कांवड़ में झांकियों समेत साउंड सिस्टम का औसत किराया डेढ़ से दो लाख रुपये तक का बैठ रहा है।

दिल्ली से प्रत्येक वर्ष करीब 5,000 कांवड़ झांकियां निकलती हैं, जिसमें छोटी से लेकर बड़ी झांकियां होती हैं, जो तीन दिन से लेकर 15 दिन तक के लिए होती हैं। इस वर्ष झांकियों में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का अनुमान है। ऑल इंडिया साउंड एंड लाइट एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र बब्बर के अनुसार, महंगाई के मद्देनजर साउंड सिस्टम के किराए में बढ़ोत्तरी की गई है।

चार दिन से 15 दिनों की होती है यात्रा

सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। शिवभक्त भोले बाबा को मनाने के लिए गंगा जल लाकर शिवलिंग पर आस्थापूर्वक चढ़ाते हैं। यह पूरी यात्रा काफी कठिन मानी जाती है, क्योंकि यह नंगे पैर होती है। इस यात्रा को लेकर शिवभक्तों की आस्था देखते ही बनती है।

इस वर्ष भी 15 दिन पहले से यात्रा को लेकर शिवभक्तों की तैयारियां प्रारंभ हो गई है। जो शिवभक्त उत्तराखंड के गोमुख से पवित्र जल को कांवड़ में लाने जा रहे हैं, वह उसके लिए रवाना भी हो चुके हैं।

ध्वनि को लेकर जारी किया गया है परामर्श

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क पर साउंड सिस्टम के लिए उच्चतम ध्वनि स्तर 75 डेसिबल तय की है। ऐसे में आल इंडिया साउंड एंड लाइट एसोसिएशन ने इसके लिए देशभर के साउंड सिस्टम संचालकों के लिए परामर्श पत्र जारी किया है जिसमें उसने कांवड़ के साथ चल रहे साउंड सिस्टम के लिए इस मानक के पालन का आग्रह किया गया है। इसके साथ ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड पुलिस प्रशासन से भी इस मामले में कार्रवाई की जगह जागरूक करने का आग्रह किया गया है।

नहीं होता ध्वनि स्तर मानक का पालन

एक साउंड सिस्टम संचालक ने बताया कि निर्धारित मानक 75 डेसिबल का पालन कठिन होता है, क्योंकि सड़क के शोर के साथ कई साउंड सिस्टम साथ चल रहे होते हैं। भक्तिभाव में उत्साह व जोश इतना होता है कि भक्तों को अंदाजा नहीं होता है कि साउंड की आवाज कितनी पहुंच गई है।