दक्षिण अफ्रीका को ५२ रन से हराया
हर ‘मनÓ में बसी बेटियां , भारत नया चैम्पियन

दक्षिण अफ्रीकाको हराकर भारतकी शेरनियोंने जीता पहला महिला एक दिनी विश्वकप खिताब
नवी मुम्बई (आससे)। आखिरकार इन्तजार खत्म हुआ। भारतकी शेरनियां दहाड़ी और ऐसा दहाड़ी कि इतिहास लिख गया। यह इतिहास रचा गया महिला एकदिनी विश्वकपके फाइनलमें जहां भारतकी बेटियोंने फाइनलमें रविवारको दक्षिण अफ्रीकाको ५२ रनसे पराजित कर पहली बार विश्व चैम्पियन बननेका गौरव हासिल किया। इस जीतकी पटकथा लिखी दीप्ति शर्मा ५८ रन, ५ विकेट) और शेफाली वर्मा (८७ रन, २ विकेट) ने। जिन्होंने पहले बल्लेसे अर्द्धशतक जड़ा फिर गेंदसे करामात करते हुए विपक्षी टीमको धराशायी कर दिया। भारतने खिताबी मुकाबलेमें पहले ५० ओवरमें सात विकेटपर २९८ रन बनाये। फिर दक्षिण अफ्रीकाकी पारी ४५.३ ओवरमें २४६ रन पर समेट दी।
दीप्ति का धमाल ५८ रन, वर्मा ५ विकेट

शेफाली, दीप्ति का बल्ले और गेंद से कमाल

द. अफ्रीकाके काम न आया वोल्वार्ट का शतक
शेफाली वर्मा तारणहार ८७ रन, २ विकेट
नवी मुम्बई (आससे)। हजार बर्क गिरे लाख आंधियां , वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं, मशहूर कवि साहिर लुधियानवी की ये पंक्तियां महिला टीम इंडिया के ५२ साल बाद पहली बार विश्व चैम्पियन बनने की कहानी पर फिट बैठती हैं। जिसने दक्षिण अफ्रीका को एकदिनी विश्वकप २०२५ के फाइनल में हराकर पहली बार ठीक उसी तरह खिताब हासिल किया जैसे १९८३ में पुरुष क्रिकेट का पहला विश्वकप कपिल देव ने जिताया था। हरमनप्रीत की कप्तानी वाली महिला टीम इंडिया ने मैदान में हार नहीं मानी और तमाम बाधाओं को पार करते हुए भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास को पूरी तरह से बदल दिया। भारत पहले बल्लेबाजी करने उतरा तो शेफाली वर्मा ने ८७ रन और दीप्ति शर्मा ने ५८ रन बनाये। जिससे दक्षिण अफ्रीका को २९९ का लक्ष्य मिला। इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोल्वार्ट ने १०१ रन की पारी खेली लेकिन अपनी टीम को पहला बार विश्व विजेता नही बना सकीं। दीप्ति ने बल्ले के बाद गेंदबाजी में भी कमाल किया और पांच विकेट लेकर ५२ साल बाद भारत को ५२ रन से जीत दिला दी। भारत २०१७ में भी फाइन में पहुंचा था लेकिन निराशा हाथ लगी ती जबकि २०२० में टी-२० विश्वकप के खिताब से चूक गया था। २९९ रन के लक्ष्य के सामने दक्षिण अफ्रीका को कप्तान लौरा वोल्वार्ट और ताजमिन ब्रिट्ज की सलामी जोड़ी ने पहले विकेट के लिए ५१ रन की साझेदारी कर मजबूत शुरुआत दी। यह जोड़ी ताजमिन ब्रिट्ज (२३) के रन आउट होने से टूटी। टीम का स्कोर ६२ रन ही हुआ था कि श्री चरनी ने अनेके बाश को खाता खोलने से पहले ही पगबाधा कर भारत को राहत प्रदान की। इधर कप्तान लौरा वोल्वार्ट इंगलैण्ड के खिलाफ सेमीफाइनल में खेल गयी पारी आगे बढ़ाती दिखी। उन्होंने अपने आक्रामक तेवर से भारतीय खेमे में दहशत पैदा कर दी। इस बीच कप्तान हरमनप्रीत ने हैरत अंगेज फैसला करते हुए गेंद शेफाली वर्मा को थमा दी और उनकी यह रणनीति काम कर गयी। शेफाली ने पहले सुने लूस को अपनी ही गेंद पर कैच किया जिन्होंने ३१ गेंद पर चार चौके की मदद से २५ रन बनाये फिर मारिजान काप (चार) को ऋचा घोष के हाथों कैच करा मैच में रोमांच ला दिया। दीप्ति ने सिनालो जाफ्ता (१६) का शिकार कर दक्षिण अफ्रीका की आधी टीम१४८ रन पर पवेलियन में वापस बैठा दी। एक छोर से विकेट गिर रहे थे लेकिन दूसरे छोर पर वोल्वार्ट चट्टान की तरह अडिग रन बनाती जा रही थी। उन्होंने अर्द्धशतक पूरा किया फिर एक और शतक की ओर बढ़ने लगी और उन्होंने इसे ९६ गेंद में अंजाम भी दे दिया। वोल्वार्ट के शतक लगाने से पहले दीप्ति शर्मा ने अनेरी डेरेकसन को बोल्ड कर उनकी ३५ रन की पारी का अंत कर दिया। शतक लगाने के बाद वोल्वार्ट दीप्ति की गेंद पर बड़ा शाट खेलने के चक्कर में अमनजोत कौर के हाथों कैच हो गयी।अमनजोत यह कैच तीन प्रयास में पकड़ सकी। अगर यह कैच छूटता तो शायद मैच भी भारत के हाथ से छूट जाता। वोल्वार्ट ने ९८ गेंद पर ११ चौके, एक छक्के की मदद से १०१ रन बनाये। इसी ओवर में दीप्ति ने ट्रायन (नौ) को भी पगबाधा कर दिया। दीप्ति ने डी क्लार्क (१८) को अपना पांचवां शिकार बना दक्षिण अफ्रीका की पारी ४५.३ ओवर में २४६ रन पर समेट दी। दीप्ति न ३९ रन देकर पांच और शेफाली ने ३६ रन देकर दो विकेट लिए। इससे पहले बारिश की आंख मिचौली के कारण लगभग दो घण्टे देरी से हुआ टास दक्षिण अफ्रीका ने जीता और भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रिात किया। मारिजान काप का पहला ओवर मेडन होने के बीच शेफाली वर्मा और स्मृति मंधाना की सलामी जोड़ी ने टीम को आक्रामक शुरुआत दी। हमले की शुरुआत शेफाली ने की फिर इसमें मंधाना भी शामिल हो गयी जिससे सातवें ओवर में ही टीम इण्डिया के रनों का अर्द्धशतक पूरा हो गया। इस दौरान शेफाली और मंधाना ने काप और खाका की गेंदों पर बेहतरीन चौके जड़े। दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोल्वार्ट ने गेंदबाजी में परिवर्तन करते हुए गेंद बायें हाथ की आर्थोडाक्स गेंदबाज नान्कुलुलेको मलाबा को थमायी जिनका स्वागत शेफाली ने चौके से किया। दूसरे छोर से परिवर्तित गेंदबाज के रुप में नदिन डी क्लार्क ने गेंद संभाली जिनकी गेंद मंधाना ने सीमारेखा के पार चार रन के लिए भेज दी। इन दोनों की आत्मविश्वास से भरी बेखौफ बल्लेबाजी का नतीजा रहा कि पहले पावर प्ले के १० ओवर में भारत ने बिना विकेट खोए ६४ रन बना लिए। पावर प्ले के बाद हलांकि अगले तीन ओवर दक्षिण अफ्रीका की गेंदबाजों ने भारतीय सलामी जोड़ी के बल्ले को खामोश रखा लेकिन इस खामोशी को मंधाना १४वां ओवर लेकर आयी नान्कुलुलेको मलाबा की गेंद को चार रन के लिए सीमा रेखा के बाहर भेज कर तोड़ा। इधर शेफाली ने नदिन डी क्लार्क की गेंद पर अपना और टीम का पहला छक्का जड़ दिया। अबतक शेफाली की अपेक्षा थोड़ा सुरक्षात्मक खेल रही मंधाना ने ड्रिंक्स इंटरवल के बाद हाथ खोला और पहले परिवर्तित गेंदबाज के रुप में आयी सुने लुस पर फिर क्लो ट्रायान की गेंद पर चौका लगा कर भारत के रनों का शतक पूरा कर दिया लेकिन इसी ओवर में मंधाना विकेट के पीछे सिनालो जाफ्टा को कैच देकर पवेलियन लौट गयी। मंधाना ने ५८ गेंदों पर आठ चौके की मदद से ४५ रन बनाये। भारत को पहला झटका १०४ रन पर लगा। इधर शेफाली ने ॉ्रायान की गेंद पर एक रन लेकर अर्द्धशतक पूरा कर लिया। शेफाली के बल्ले से तीन साल बाद यह अर्द्धशतक निकला जो एकदिनी विश्वकप में उनका दूसरा पचासा है। अर्द्धशतक लगाने के बाद ही शेफाली को को जीवनदान मिल गया। ओवर की पहली बाल सुने लुस ने गुड लेंथ पर फेंकी। शेफाली बड़ा शाट खेलने गयी लेकिन गेंद हवा में खड़ी हो गयी और डीप मिड विकेट पर अनेके बाश ने कैच लेने की कोशिश की लेकिन गेंद उनके हाथ से छिटक गयी। शेफाली इसका फायदा उठाते हुए शतक की ओर बढ़ने लगी लेकिन आयाबोंगा खाका ने पांचवी गेंद आफ स्टंप के बाहर गुड लेंथ पर फेंकी जिसेवे मिड आफ के ऊपर से चौका लगाने गयी लेकिन मिस टाइम कर गयी और गेंद वहां खड़ी सुने लुस के हाथों में तली गयी। उन्होंने ७८ गेंद पर सात चौके, एक छक्के की मदद से ८७ रन बनाये। यह उनका एकदिनी का सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा। शेफाली ने मंधाना के साथ १०४ और जेमिमा के साथ ६२ रन की साझेदारी की। सेमीफाइनल मैच की नायिका जेमिमा रोड्रिग्स इस बार कमाल नहीं कर सकी और २४ रन बना कर आयाबोंगा खाका की दूसरी शिकार बन गयी। हरमनप्रीत भी अहम मौके पर निराश कर$ गयी और केवल २० रन बना कर मलाबा की गेंद पर बोल्ड हो गयी। भारत का स्कोर चार विकेट पर २२३ रन हो गया। इधर दीप्ति शर्मा निर्भिकता से खेलती रही और अपने पंसंदीदा स्वीप शाट के सहारे रन बटोरती रही। अमनजोत कौर भी ज्यादा देर नहीं रुकी और केवल १२ रन बना कर डी क्लार्क की शिकार हो गयी। इधर दीप्ति शर्मा ने अर्द्धशतक पूरा कर लिया उधर ऋचा घोष ने पवेलियन लौटने से पहले २४ गेंद पर तीन चौके, दो छक्के की मदद से ३४ रन की तेज पारी खेल दी लेकिन अन्तिम ओवर में केवल छह ही रन आने से भारत ३०० का आंकड़ा नहीं पार कर सका और ५० ओवर में सात विकेट पर २९८ रन तक ही पहुंच सका। दीप्ति ने ५८ गेंदों पर तीन चौके, एक छक्के की मदद से ५८ रन बनाये। आयोबांगा खाका ने तीन विकेट चटकाये।
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