नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 112वां दिन है। लेकिन इस गतिरोध का अबतक कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। एक तरफ जहां किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं वहीं सरकार भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान अड़े हैं, हालांकि उनकी तादाद अब काफी कम हो गई है। अपने आंदोलन को फिर से तेज करने और धार देने आंदोलनकारी किसान लगातार नई रणनीति पर मंथन कर रहे हैं। इतना ही नहीं अपने साथ ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए किसान संगठनों के बड़े नेता लगातार पंचायत और महापंचायत कर रहे हैं।
कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन को किसान और मजबूती देने में जुटे हुए हैं, सड़क की लड़ाई को सड़कों पर ही लड़ने का प्रयास किया जा रहा है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने नई रणनीति के तहत बस अड्डो और रेलवे स्टेशनों में किसान अपने वॉलेंटयर्स भेज कृषि कानून पर लोगों को जागरूक करने की योजना बनाई है। अक्सर हमने रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर सामान बेचने वाले देखे होंगे जो कि राहगीरों से बस के अंदर आकर सामान खरीदने की अपील करते हैं। उसी तर्ज पर किसान अब कृषि कानून को लेकर अपने वॉलेंटयर्स भेज राहगीरों को इस आंदोलन के बारे में जानकारी देंगे।
हालांकि इस योजना पर गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने विचार विमर्श किया है जल्द ही इसपर फैसला लेंगे कि इसको जमीनी स्तर पर उतारना ठीक होगा या नहीं। भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक का कहना है कि ‘बसों और ट्रेनों में पैम्पलेट बांट कर राहगीरों को इस आंदोलन के बारे में बताना इसका मुख्य उद्देश्य रहेगा। इसपर हम विचार कर रहे हैं। आगामी दिनों में इसपर फैसला ले लिया जाएगा।’ साथ ही उनका कहना है कि ‘यह योजना संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से नहीं है, गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों की ये योजना है। इसमें 2 मिनट का एक भाषण भी रहेगा। जिसमें किसान आंदोलन की जानकारी पैम्पलेट के अलावा बोलकर भी दे सकें।’