पटना। बिहार के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कोरोना जैसी संकट की घड़ी में अस्पताल में भर्ती मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई। मामला मरीज की मौत के बाद हुए हंगामे से जुड़ा है। कल रात परिजनों ने ना सिर्फ मरीज की मौत पर जमकर बवाल काटा था बल्कि तोड़फोड़ और डॉक्टरों के साथ हाथापाई भी की थी। हंगामे के बाद अधीक्षक के आश्वासन पर 12 घंटे बाद जूनियर डॉक्टर काम पर सुबह वापस लौट गए थे और हड़ताल खत्म हो गई थी लेकिन इसी बीच फिर से ईएनटी वार्ड में परिजनों ने दो डॉक्टर की पिटाई कर दी और फिर से हंगामा होने लगा।
गुस्साए डॉक्टरों ने फिर से हड़ताल कर दी है जिससे कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में हाहाकार मच गया है। इधर अधीक्षक डॉ विनोद सिंह ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है कि डीएम को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग करने के बाद भी 15 घंटे हो गए मगर सुरक्षा नहीं मिली। महज छह सिपाही तैनात किए गए हैं।
अधीक्षक ने साफ कहा कि हम ऐसी हालत में अपने डॉक्टरों से काम नहीं ले सकते हैं क्योंकि डॉक्टर ड्यूटी करें या पिटाई खाएं, अब अस्पताल चलाना संभव नहीं है। डीएम को लिखे पत्र में अधीक्षक ने हर शिफ्ट में कुल 20 पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति करने की मांग की थी और तीनों शिफ्ट मिलाकर 60 पुलिस बल मांगा था लेकिन अब तक मात्र 6 सुरक्षाबल मिले हैं जो नाकाफी हैं।
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामचन्द्र ने चेतावनी दी है कि जब तक अस्पताल में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती नहीं होती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल के बाद पुलिस ने एक परिजन को फिलहाल हिरासत में ले लिया है और पुलिस उसे थाने ले गई है। बताते चलें कि एनएमसीएच में लगभग 400 कोरोना मरीज भर्ती हैं लेकिन इस वक्त भगवान भरोसे इलाज चल रहा है।