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इसराइल वाक़ई अल-अक़्सा और पास के शेख़ जर्रा से हट गया?


क़रीब दो हफ़्तों से छिड़े हिंसक संघर्ष के बाद आख़िरकार ग़ज़ा पट्टी में इसराइल और फ़लस्तीनी चरमरपंथी संगठन हमास के बीच युद्धविराम का ऐलान हो गया है.

11 दिनों तक चली इस हिंसा में हमास ने इसराइल पर 4,000 रॉकेट दागे और इसराइली हिंसा ने जवाबी कार्रवाई करते हुए गज़ा में 1500 ठिकानों को निशाना बनाया.

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ इस हिंसा के कारण गज़ा में कम से कम 243 लोगों की मौत हुई जिनमें 100 से ज़्यादा महिलाएं और बच्चे थे.

इसराइल की मेडिकल सर्विस का कहना है कि उसके यहाँ हमास के हमले में 12 लोगों की जान गई है, जिनमें दो बच्चे शामिल थे.

सीज़फ़ायर क्या है?

आसान शब्दों में कहें तो सीज़फ़ायर या युद्धविराम दोनों पक्षों द्वारा हमेशा के लिए या एक निश्चित अवधि तक युद्ध रोकने का ऐलान है.

हालाँकि सीज़फ़ायर के बाद भी यह बिल्कुल मुमकिन है कि भविष्य में युद्ध फिर शुरू हो सकता है.

अतीत में भी ऐसा हुआ है, जब इसराइल और हमास ने युद्धविराम का उल्लंघन करते हुए फिर से लड़ाई शुरू कर दी थी.

इस बार दोनों पक्ष शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार रात के दो बजे से लड़ाई रोकने पर सहमत हो गए थे.

सीज़फ़ायर के ऐलान से ठीक पहले हमास के इसराइल में रॉकेट छोड़े जाने और इसराइल में गज़ा के हवाई हमले की ख़बरें आई थीं.

युद्धविराम के बाद अपने घरों को लौटे फ़लस्तीनी बच्चेसीज़फ़ायर की शर्तें क्या हैं?

इसराइल और हमास के बीच युद्धविराम की शर्तों को लेकर बहुत कम जानकारी सार्वजनिक की गई है. दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम को लेकर बातचीत पर्दे के पीछे होती रही है.

सीज़फ़ायर की इस पूरी प्रक्रिया में अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, मिस्र और क़तर की बड़ी भूमिका रही है.

इसराइली प्रधानमंत्री के कार्यालय ने एक बयान जारी करके कहा कि इसराइल हिंसा रोकने के लिए ‘पारस्परिक और बिना शर्त’ युद्धविराम के लिए राज़ी हो गया है.

गज़ा में एक हमास नेता ने बीबीसी को बताया कि इसराइल क़ब्ज़े वाले पूर्वी यरुशलम में स्थित अल-अक़्सा मस्जिद और पास के शेख़ जर्रा इलाके से ‘हटने के लिए’ तैयार हो गया है. हालाँकि इसराइल ने इस दावे से इनकार किया है.

पूर्वी यरुशलम का शेख़ जर्रा वही इलाक़ा है, जहाँ से फ़लस्तीनी परिवारों को हटाकर यहूदी बस्तियाँ बसाए जाने के दबाव के कारण हिंसा उपजी.

इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू का दावा है कि ग़ज़ा में इसराइली सेना के हमले ‘बेहद सफल’ और इन्होंने ने हमास के साथ इसके ‘समीकरण बदल दिए’.

ख़बर है कि इसराइल ने ग़ज़ा पट्टी तक मानवीय मदद पहुँचने के लिए एक क्रॉसिंग पॉइंट खोल दिया है. इसराइल में आवाजाही पर लगी ज़्यादातर आपातकालीन पाबंदियाँ हटाई जा चुकी हैं और कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएंगी.

हमास के रॉकेट हमले में नष्ट हुए घर में इसराइली बचाव दलयुद्धविराम कब तक चलेगा?

इस युद्धविराम की कोई समयसीमा तय नहीं की गई है और दुनिया भर के नेता उम्मीद जता रहे हैं कि यह हमेशा के लिए रहेगा.

मिस्र ने कहा है कि यह सीज़फ़ायर पर नज़र रखने के लिए तेल अवीव और गज़ा में अपने प्रतिनिधि मंडल भेज रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, यह प्रतिनिधिमंडल युद्धविराम को हमेशा के लिए बनाए रखने के तरीके ढूँढेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है यह युद्धविराम प्रगति का ‘सच्चा मौक़ा’ लाया है.

यूरोपीय संघ की ओर से एक बयान में कहा गया, “हम इस युद्धविराम तक पहुँचने के लिए मिस्र, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और उन सबकी तारीफ़ करते हैं जिन्होंने इसमें अपनी भूमिका निभाई.”

चीन ने उम्मीद जताई है कि दोनों पक्ष गंभीरता से इस युद्धविराम का पालन करेंगे.

ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी युद्धविराम का स्वागत कहा है कि लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को युद्ध रोकने के लिए कोई ‘दूरगामी हल’ ढूँढना चाहिए.

एक तथ्य यह भी है कि इस युद्धविराम से इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच जारी विवाद और मसले हल हो जाएंगे.

दोनों पक्षों के बीच जारी विवाद को सुलझाने की कई कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं लेकिन उनमें से किसी को सफलता नहीं मिली.

इनमें भविष्य में यरुशलम की स्थिति, क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट में यहूदियों बस्तियों का भविष्य, फ़लस्तीनी शरणार्थियों और अलग फ़लस्तीन बनने जैसे मुद्दे शामिल हैं.

सीज़फ़ायर के बाद अपने घरों को लौटे फ़लस्तीनीइससे पहले के युद्धविरामों में क्या हुआ?

साल 2014 के युद्ध में जब इसराइली सेना गज़ा घुस गई थी तब युद्धविराम की कई कोशिशें हुई थीं. इसके बाद ही वहाँ हिंसा रुक पाई थी.

साल 2007 में भी मिस्र की मध्यस्थता से दोनों पक्षों में युद्धविराम हुआ था लेकिन नवंबर 2008 में यह टूट गया और अगले ही महीने इसराइल ने गज़ा पर भारी हमला कर दिया था.