- केंद्र और राज्य की खींचतान में बुरे फंसे आलापन
पश्चिम बंगाल से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक आलापन बंद्योपाध्याय के नाम पर सियासी घमासान तेज हो गया है. एक तरफ सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव रह चुके आलापन बंद्योपाध्याय को मुख्यमंत्री का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है. दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार ने सीएम के मुख्य सलाहकार आलापन बंद्योपाध्याय से शोकॉज का फैसला लिया है.
पीएम मोदी की बैठक के बाद बढ़ा विवाद
पिछले दिनों यास चक्रवात के बाद की स्थिति की समीक्षा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ओड़िशा और पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे थे. पीएम मोदी ने पहले ओड़िशा में चक्रवात प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया और फिर बंगाल पहुंचे. यहां चक्रवात के प्रभाव का जायजा लेने के बाद पीएम मोदी ने कलाईकुंडा में समीक्षा बैठक की और इसमें ना तो सीएम ममता बनर्जी पहुंची और ना ही तत्कालीन मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय. इस मीटिंग के बाद ऐसी खबरें भी आईं कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम ममता बनर्जी से मिलने के लिए 30 मिनट तक इंतजार किया. ममता बनर्जी का आरोप था कि उन्हें पीएम से मिलने के लिए 20 मिनट रूकना पड़ा था.
आलापन बंद्योपाध्याय पर ऐसे गिरी गाज…
केंद्र और राज्य के आरोप-प्रत्यारोप के बीच गाज तत्कालीन मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय पर गिरी. उन्हें केंद्र में तलब कर लिया गया. आलापन बंद्योपाध्याय को सोमवार को दस बजे दिल्ली में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था. लेकिन, वो दिल्ली नहीं गए और सोमवार (31 मई) को रिटायर हो गए. खास बात यह है आलापन बंद्योपाध्याय को तीन महीने के लिए एक्सटेंशन भी दिया गया था. एक तरफ आलापन बंद्योपाध्याय रिटायर हुए, दूसरी तरफ उन्हें ममता बनर्जी ने सीएम का मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया. वो सीएम के मुख्य सलाहकार के रूप में तीन साल तक काम करते रहेंगे. इस पद पर काम करने के एवज में हर महीने ढाई लाख रुपए मिलेंगे.