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धर्मांतरण मामला: इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के विवादित प्रोफेसर का भी नाम उछला,


  • इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के विवादित प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद का नाम धर्मांतरण मामले में सामने आया है. इससे पहले वह विदेशी जमातियों को पनाह देने के मामले में जेल भी जा चुके हैं.

प्रयागराज: यूपी में साजिश रचकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराए जाने के मामले में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एक विवादित प्रोफेसर का नाम भी सामने आया है. आरोप है कि पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के इस प्रोफेसर ने कानपुर की एमबीए की छात्रा का इस तरह से ब्रेनवॉश किया कि उसने न सिर्फ अपना मजहब बदलकर इस्लाम धर्म कबूल कर लिया, बल्कि धर्म परिवर्तन के बाद अपने परिवार से हमेशा के लिए नाता भी तोड़ लिया. आरोपी प्रोफेसर एटीएस और दूसरी एजेंसियों के निशाने पर हैं. आरोपी प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद का करीबी भी बताया जाता है. पिछले साल कोरोना महामारी फैलने पर विदेशी जमातियों को पनाह देने के मामले में यह प्रोफेसर करीब दो महीने तक जेल की हवा भी खा चुका है.

बहरहाल धर्म परिवर्तन करने वाली छात्रा के परिवार वालों और दूसरे करीबियों के बयान के आधार पर नाम उछलने के बाद से आरोपी प्रोफेसर शाहिद और उनका परिवार घर छोड़कर फरार है. प्रोफेसर और उनके परिवार के लोगों के मोबाइल फोन भी ज्यादातर वक्त बंद ही रहते हैं. आशंका जताई जा रही है कि एटीएस और दूसरी जांच एजेंसियां जल्द ही प्रोफेसर शाहिद से पूछताछ कर उन पर शिकंजा कस सकती हैं. हालांकि आरोपी प्रोफेसर ने किसी तरह फोन पर कुछ पल के लिए हुई बातचीत में खुद को बेगुनाह बताते हुए ऋचा नाम की किसी छात्रा को जानने या मुलाकात करने से ही इनकार किया है.

घर छोड़कर फरार हुआ प्रोफेसर

यह अलग बात है कि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि पीड़ित छात्रा के परिवार वालों और करीबियों ने धर्म परिवर्तन कराने के लिए उनका ही नाम क्यों लिया. सवाल यह भी उठता है कि धर्मांतरण के नेटवर्क का खुलासा होते ही प्रोफेसर शाहिद घर छोड़कर क्यों फरार हो गए और वह ज्यादातर समय अपने और परिवार का मोबाइल फोन क्यों बंद रखते हैं. प्रोफेसर ने इसी तरह पिछले साल भी तब्लीगी जमात में शामिल होने के बावजूद अपना कोविड टेस्ट नहीं कराया था और इस वजह से उन्हें एक और मुकदमा भी झेलना पड़ा था.