चंदौली। मौसम के बेरूखी से जनपद के किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। धान की नर्सरी सूखने व खेतों में धूल उडऩे को देखकर किसानों का कलेजा हलक में सूख रहा है। बताया जाता है कि इस बार जून माह के द्वितिय सप्ताह से ही अच्छी खासी बरसात शुरू हो जाने के चलते किसानों द्वारा खरीफ की फसल धान का उत्पादन करने के लिए खेतों में धान की नर्सरी डाल दिये थे। वर्तमान माह जुलाई में बरसात न होने के चलते डाली गयी धान की नर्सरी बचाना किसानों के लिए अब टेढ़ी खीर साबित हो रही है। चंदौली जनपद को कृषि प्रधान जनपद के साथ ही धान के कटोरा के शब्द से जाना व पहचाना जाता है। वर्तमान समय में जनपद में सिंचाई की समस्या सुरसा के मुंह की तरह बढऩे से कृषि प्रधान जनपद के किसानों की समस्या काफी बढ़ गयी है। किसानों का कहना है कि शासन प्रशासन एवं सत्तारूढ़ जनप्रतिनिधियों द्वारा किसानों के बेहतरी के लिए आये दिन राग तो जरूर अलापा जाता है जबकि धरातल स्तर पर खेती के खलिहानी के विकास के बाबत कुछ भी नहीं कराया गया है। जनपद में बांधों, जलाशयों, नहरों व माइनरों का संजाल पूर्व से ही बिछा हुआ है। पिछले कई वर्षों से इनका मरम्मत आदि के कार्य नहंीं हो पा रहे हैं। किसानों के अनुसार अगर सिंचाई संसाधनों के उपर गंभीरता से ध्यान दिया गया होता तो वर्तमान समय में बरसात न होने के चलते जो स्थिति है वह कदापि नहीं रहती। किसानों का यह भी कहना है कि नहरों माइनरों की सफाई मरम्मत के कार्य न होने से टेल के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है ऐसे में किसानी के कार्य प्रतिवर्ष प्रभावित होते हैं। किसानेां ने शासन प्रशासन का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।