- बेंगलुरु कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों उथल पुथल का माहोल है। सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के इस्तीफे के कयास लगाए जा रहे हैं। इसी बीच मंगलवार को विभिन्न मठों के 30 से अधिक संतों ने बेंगलुरु में सीएम बीएस येदियुरप्पा से मुलाकात की और उन्हें अपना समर्थन दिया।
सत्तारूढ़ भाजपा के एक वर्ग के भीतर इस बात की चर्चा तेज हो गई कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का सीएम की कुर्सी से बाहर होना तय है। ऐसा लगता है कि राज्य की राजनीति में सामुदायिक कारक सामने आ गए हैं। लिंगायत समुदाय के कई संतों और नेताओं जो कि राज्यों की आबादी का लगभग 16 प्रतिशत होने का अनुमान है। 78 वर्षीय लिंगायत नेता येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने के किसी भी कदम के खिलाफ भाजपा को आगाह किया है।
वीरशैव-लिंगायत समुदाय को भाजपा का मुख्य समर्थन आधार माना जाता है। येदियुरप्पा की जगह लेने की अटकलों के बीच दावणगेरे के विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा ने भाजपा आलाकमान से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि येदियुरप्पा सीएम बने रहें। इसके अलावा, उन्होंने भाजपा को चेतावनी दी कि अगर उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह सीएम के साथ एकजुटता से खड़े होंगे। स्वयं लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शिवशंकरप्पा अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।