- नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने अपनी दूसरी पत्नी और बच्चों को मुआवजा देने के लिए तैयार होने के बाद धारा 498 ए (दहेज प्रताड़ना) के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को दी गई सजा को कम कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा कि किसी भी आपराधिक न्यायशास्त्र का उद्देश्य चरित्र में सुधार करना है। जमानत के बाद व्यक्ति पीड़ित की देखभाल करेगा। यदि वह पत्नी की देखभाल भत्ता और एकमुश्त मुआवजा दे रहा है तो हम उसे इसकी इजाजत देते हैं।
वहीं पत्नी भी तीन लाख रुपये का मुआवजा लेने के लिए तैयार है। कोर्ट ने आदेश दिया कि झारखंड में पाकुड़ ट्रायल कोर्ट से छह माह के अंदर मुआवजा देने के बाद उसे उसके जेल में रहने की अवधि को सजा मानकर रिहा कर दिया जाए। कोर्ट ने यह मुआवजा सीआरपीसी की धारा 357 के तहत दिलवाया।