- भारत से हर साल लाखों की संख्या में लोग काम के सिलसिले में दक्षिण एशियाई और खाड़ी देशों में रोजगार ढूंढने जाते हैं। हालांकि, कई बार कुछ ऐसी परिस्थितियां खड़ी हो जाती हैं कि कुछ लोग इन जगहों पर फंस कर रह जाते हैं। कभी फर्जी एजेंट्स के झांसे में आकर तो कभी वहां काम करने वाले क्रूर मालिकों के चंगुल में। इस स्थिति में कई बार संज्ञान मिलने पर भारतीय विदेश मंत्रालय आगे आकर लोगों की मदद भी करता है। लेकिन हर बार मामले भारत सरकार के सामने नहीं पहुंच पाते और कई लोग न्याय का इंतजार करते हुए इन्हीं देशों में फंसे रह जाते हैं। पिछले पांच सालों से ऐसे ही कुछ लोगों को निकालने का काम कर रहे हैं आबिद हुसैन।
पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से मध्य प्रदेश के भोपाल में रह रहे आबिद शायद असल जिंदगी के ‘बजरंगी भाईजान’ है। कम से कम आबिद को जानने वाले तो उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं। दरअसल, उन्होंने अब तक पाकिस्तान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, कुवैत, ओमान, बहरीन, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका और अन्य कई देशों में फंसे नागिरकों को निकालने में अहम भूमिका निभाई है। इतने देशों के नाम जुबान पर होने के बावजूद आबिद हुसैन को ठीक से यह नहीं याद है कि उन्होंने अब तक कितने लोगों के देश लौटाने में मदद की है। अमर उजाला के सवाल पर आबिद हंसते हुए इस आंकड़े को सैकड़ों में कहते हैं, पर वे असल संख्या का अंदाजा लगाने में हिचकते हुए कहते हैं- “यह तो ईश्वर का काम है, इन अच्छे कामों को करने के बाद कौन याद रखता है। इसलिए हम भी वापस लाए गए लोगों का कोई रिकॉर्ड या डिटेल नहीं रखते। जो कुछ भी है, वो बस ट्विटर पर है।”
देशभर से लोग करते हैं मदद की अपील, आबिद नहीं होने देते निराश आबिद का कहना है कि उनकी ये मदद किसी हिंदीपट्टी के राज्य या उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं रहती। बल्कि लगभग सभी राज्यों के लोगों को लौटाने में वे मदद कर चुके हैं। आबिद का कहना है कि उन्होंने इसी हफ्ते सऊदी अरब के जेद्दाह से केरल के दो लड़कों को निकाला। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई और राज्यों के निवासियों को भी विदेश से वापस लौटाने में मदद की है।