- 1897 के सारागढ़ी के युद्ध में हजारों अफ़ग़ान कबाइलियों से लोहा लेने वाले 20 सिख सैनिकों के नेता हवलदार ईशर सिंह की प्रतिमा का ब्रिटेन में रविवार को अनावरण किया गया.
कांसे की 10 फ़ुट ऊंची यह प्रतिमा सारागढ़ी के युद्ध में शहीद होने वाले नायकों के सम्मान में बनने वाला ब्रिटेन का पहला स्मारक है. 6 फ़ुट के चबूतरे पर बनी इस प्रतिमा को इंग्लैंड के वॉल्वरहैम्प्टन के वेडन्सफ़ील्ड में स्थापित किया गया है.
इस सिलसिले में आयोजित एक भव्य उद्घाटन समारोह में ब्रिटेन के कई सांसदों, स्थानीय पार्षदों के साथ सेना के कई अफ़सरों और आम नागरिकों ने भाग लिया.
सारागढ़ी के इस पूरे स्मारक के कई हिस्से हैं. इसमें आठ मीटर की एक स्टील प्लेट भी शामिल है जिस पर पहाड़ और रणनीतिक चौकी के साथ-साथ यादगार शब्दों को भी उकेरा गया है. उसी पर कांसे की यह प्रतिमा भी स्थापित है.
प्रतिमा के उद्घाटन के मौके पर इस युद्ध के सिपाहियों के तीन वंशजों ने भी भाग लियासारागढ़ी के युद्ध में हुआ क्या था?
सारागढ़ी की लड़ाई आज से ठीक 124 साल पहले यानी 12 सितंबर, 1897 को लड़ी गई थी. इसके एक तरफ़ ब्रिटिश भारतीय सेना की 36वीं (सिख) रेजिमेंट ऑफ़ बंगाल इन्फ़ैंट्री के महज़ 21 सिख जवान थे तो दूसरी ओर अफ़ग़ान कबाइलियों की 10 हज़ार की विशाल फ़ौज थी. यह लड़ाई मौज़ूदा पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में हुई थी.
लेकिन इन 21 सिख सिपाहियों ने छह घंटे से भी ज़्यादा वक़्त तक चली इस लड़ाई में वीरगति पाने तक अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया. इस संघर्ष में क़रीब 180 से 200 पठान कबाइली भी मारे गए.
कई सैन्य इतिहासकारों का तो यहां तक मानना है कि सारागढ़ी का युद्ध वीरगति पाने से पहले लड़े गए इतिहास के महान युद्धों में से एक है. बाद में उन सभी 21 सैनिकों को उनके अदम्य साहस और बहादुरी के लिए मरणोपरांत उस समय के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘इंडियन ऑर्डर ऑफ़ मेरिट’ से नवाज़ा गया था.
तब से हर साल, भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की चौथी बटालियन 12 सितंबर को सारागढ़ी दिवस के रूप में मनाती है. इस दिन उन 21 बहादुर सिख सैनिकों के वीर बलिदान को याद किया जाता है जिन्होंने ब्रिटिश सेना की एक चौकी की रक्षा के लिए दुश्मनों का अंतिम सांस तक डटकर मुक़ाबला किया था.
ब्रिटेन में अब तक सारागढ़ी की लड़ाई को याद करने वाला अकेला स्मारक एक पट्टिका है जो ईस्ट मिडलैंड्स के लीस्टरशायर में उपिंघम स्कूल के चैपल में लगी है. लेकिन इसमें 36वें सिख रेजिमेंट के कमांडेंट कर्नल जॉन हॉगटन को याद किया गया है.
सारागढ़ी की लड़ाई की प्रतीक इस प्रतिमा का निर्माण करवाना वेडन्सफ़ील्ड के काउंसलर भूपिंदर गखल का लंबे समय का सपना था