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केरल के बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार ‘अष्टमुडी झील’ मलजल का ढलाव घर बनी


  • कोल्लम (केरल), एक अक्टूबर केरल में कभी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही और बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार मानी जाने वाली अष्टमुडी झील अब सीवर की गंदगी का ढलाव घर बन गयी है जो धीरे-धीरे इसे खत्म कर रही है। केरल उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य के विधि सेवा प्राधिकरण (केएलएसए) द्वारा किए गए निरीक्षण में यह बात कही गयी है।

इस रिपोर्ट में करीब 1,700 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैली और लहराते नारियल तथा ताड़ के पेड़ों और कई छोटे द्वीपों से घिरी झील की खस्ता हालत की जानकारी दी गयी है। इसमें यह भी कहा गया है कि झील में प्रदूषण की मुख्य वजह नजदीक में स्थित घरों और सरकारी प्रतिष्ठानों से आने वाला मलजल है।

केरल की पर्यटन वेबसाइट पर दावा किया गया है, ”अष्टमुडी झील का नाम उससे निकलने वाली आठ धाराओं पर पड़ा। यह केरल में प्रसिद्ध बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार है और यहां की हाउसबोट सवारी बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं। बैकवाटर्स में कोल्लम से अलप्पुझा के रास्ते को सबसे अच्छा माना जाता है। यहां क्रूज आपको बैकवाटर्स की खूबसूरती का व्यापक दृश्य देंगे।”

बहरहाल, स्थानीय निवासी के एम सलीम के अनुसार जमीनी हकीकत कुछ और ही है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कोई भी ”हद से ज्यादा प्रदूषित’ झील के किनारे चलना भी नहीं चाहेगा, ”क्रूज” पर जाने की बात तो दूर की है। दशकों से इस झील में ठोस कचरा और मलजल बहाया जा रहा है।

केरल उच्च न्यायालय को भेजे उनके पत्र पर ही उसने केएलएसए को जलाशय का निरीक्षण करने का निर्देश दिया। अष्टमुडी झील राज्य की दूसरी सबसे बड़ी झील है।