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दिल्ली में बिजली संकट की चिंता को लेकर बिजली मंत्रालय ने NTPC और DVC को दिए ये निर्देश


  • नई दिल्ली: दिल्ली को बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) और दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) को दिल्ली को उतनी ही बिजली उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जितनी उसकी वितरण कंपनियों द्वारा मांग की जाती है।

पिछले 10 दिनों में दिल्ली डिस्कॉम्स को दी गई घोषित क्षमता (डीसी) को ध्यान में रखते हुए बिजली मंत्रालय ने 10.10.2021 को एनटीपीसी और डीवीसी को दिल्ली को बिजली आपूर्ति सुरक्षित करने के निर्देश जारी किए हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वितरण कंपनियां दिल्ली को उनकी मांग के मुताबिक जितनी बिजली की जरूरत होगी उतनी ही बिजली मिलेगी।

मंत्रालय के निर्देश में कहा गया है कि एनटीपीसी और डीवीसी अपने कोयला आधारित बिजली स्टेशनों से संबंधित बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के तहत दिल्ली वितरण कंपनियों को उनके आवंटन के अनुसार मानक घोषित क्षमता (डीसी) की पेशकश कर सकते हैं।

मंत्रालय ने कहा, “एनटीपीसी और डीवीसी दोनों ने दिल्ली को उतनी ही बिजली मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जताई है, जितनी दिल्ली के डिस्कॉम की मांग है।” साथ ही, कोयला आधारित बिजली उत्पादन से बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए 11 अक्टूबर को आवंटित बिजली के उपयोग के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

मंत्रालय ने कहा, “इन दिशानिर्देशों के तहत, राज्यों से राज्य के उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति के लिए आवंटित बिजली का उपयोग करने का अनुरोध किया गया है और अधिशेष बिजली के मामले में, राज्यों को सूचित करने का अनुरोध किया गया है ताकि इस बिजली को अन्य जरूरतमंद राज्यों को फिर से आवंटित किया जा सके।”

बिजली मंत्रालय ने राज्य को आगाह किया कि वह बदले में बिजली न बेचें अन्यथा इसका परिणाम अस्थायी रूप से कम होगा या असंबद्ध बिजली की वापसी होगी।

मंत्रालय ने कहा, “यदि कोई राज्य पावर एक्सचेंज में बिजली बेचता हुआ पाया जाता है या इस असंबद्ध बिजली को शेड्यूल नहीं करता है, तो उनकी असंबद्ध बिजली को अस्थायी रूप से कम या वापस लिया जा सकता है और अन्य राज्यों को फिर से आवंटित किया जा सकता है, जिन्हें ऐसी बिजली की आवश्यकता होती है।”

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की प्रतिक्रिया दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन के आरोप के बाद आई है कि राष्ट्रीय राजधानी को पहले जितनी बिजली मिल रही थी, उससे आधी हो रही है।