नई दिल्ली, । भारत की पहली क्रिप्टोकरेंसी यूनिकॉर्न कंपनी कॉइन डीसीएक्स जल्द ही अपना आइपीओ लाने की योजना बना रही है। कंपनी के सह-संस्थापक नीरज खंडेलवाल के अनुसार, भारत की पहली क्रिप्टोक्यूरेंसी यूनिकॉर्न कॉइन डीसीएक्स सरकारी नियमों की अनुमति मिलते ही एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश को आगे बढ़ाने की योजना बना रही है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, खंडेलवाल ने एक टीवी प्रोग्राम को इंटरव्यू देते हुए यह बताया कि, “इस साल की शुरुआत में कॉइनबेस ग्लोबल इंक की यूएस लिस्टिंग के समान शेयर बिक्री भारत के डिजिटल परिसंपत्ति उद्योग के लिए विश्वास का एक महत्वपूर्ण वोट होगा। जैसे ही सरकार हमें अनुमति देती हैं, हम अपना आईपीओ लाने के लिए प्रयास करेंगे। एक आईपीओ उद्योग को वैधता देता है, जैसे कि कॉइनबेस आईपीओ ने क्रिप्टो बाजारों में बहुत विश्वास दिया है। इसी तरह हम कॉइन डीसीएक्स के आईपीओ के साथ समान स्तर का विश्वास पैदा करना चाहते हैं।”
खंडेलवाल ने अपने बयान में यह भी कहा कि, “फर्म आने वाले सरकारी नियमों के आधार पर सटीक समयरेखा तय करेगी। हम निश्चित रूप से उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए आइपीओ लाना चाहते हैं। कॉइन डीसीएक्स की विस्तार योजनाएं भारत में उद्योग के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक बिल लाने की तैयारी कर रही है।”
भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि, वह आधिकारिक डिजिटल मुद्रा बनाते समय सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना चाहता है। सरकार ब्लॉकचेन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए अपवादों के लिए तैयार है। भारतीय नियामक तेजी से क्रिप्टो के बढ़ते उद्योग के प्रति अपने रुख पर आगे-पीछे हुए हैं। सरकार ने साल 2018 में क्रिप्टो लेनदेन पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रतिबंध को हटा दिया था। पिछले सप्ताह प्रकाशित एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार, उसमें शामिल हुए आधे से अधिक लोग क्रिप्टोकरेंसी को वैध बनाने के खिलाफ थे।