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- तैयार खरीफ फसल बेमौसम बाढ़ से हुई थी बर्बाद खुद सीएम ने अपनी आंखों से देखता था आपदा लेकिन एक भी किसान को नहीं मिला अनुदान
- सूबे में किसानों के बीच 14.5 अरब खरीफ क्षतिपूर्ति के रूप में बांटा गया लेकिन जिले के 50058 किसान आवेदन के बाद लाभ का जोह रहे हैं बाट
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बिहारशरीफ। यह नालंदा की बदनसीबी नहीं तो और क्या है करोड़ों की फसल क्षति होने के बाद भी एक भी किसान को एक रुपये का क्षतिपूर्ति अनुदान नहीं मिला। जबकि अन्य प्रभावित जिले के किसानों को यह लाभ मिला है और उनके बीच 14.5 अरब रुपये बांटे जा चुके है। आपदा के बाद नालंदा दौरे पर आये मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि प्रभावितों को अनुदान देना सुनिश्चित करें।
बताते चले कि जिले के 50058 किसानों ने खरीफ क्षतिपूर्ति के अनुदान के लिए आवेदन किया था, लेकिन एक भी लोग को इसका फायदा नहीं मिला। आज तक जिला कृषि पदाधिकारी और एडीएम के स्तर पर अधिकांश आवेदन लंबित है। 19 जनवरी को विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 50058 आवेदनों में से कृषि समन्वयकों ने 65 फीसदी आवेदनों का सत्यापन कर दिया है। हालांकि अभी भी 17535 आवेदन लंबित है।
कृषि समन्वयकों द्वार 21845 आवेदन रिजेक्ट किया गया है। जिला कृषि पदाधिकारी स्तर पर 10524 आवेदन लंबित है। मात्र 181 आवेदन स्वीकार किये गये है। जिला कृषि पदाधिकारी के पास 181 आवेदन जो स्वीकृत है वो एडीएम स्तर पर पेंडिंग है। स्थिति यह है कि जिले के किसान अब भी कृषि अनुदान के लिए बाट जोह रहे है।
बताते चले कि बरसात समाप्ति के बाद जब खेतों में धान की फसलें तैयार हो चुकी थी तो चक्रवाती बारिश ने जिले में बाढ़ ला दी थी और हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसलें सहित अन्य फसलें बरबाद हुई थी। कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री खुद जिले के दौरे पर आये थे। बावजूद इसके जिले के किसानों को इसका लाभ नहीं मिला। सवाल उठता है कि यह हाल उस जिले का है जहां की आपदा स्वयं सीएम ने देखी थी। इसके बाद यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले के अधिकारियों की किस तरह मन बढ़ी हुई है कि किसानों का वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है।