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लता मंगेशकर के इस प्रशंसक ने सहेज रखा है उनके 7,600 गीतों का दुर्लभ संग्रह,


नई दिल्ली, । ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है…’ इस गाने को अपनी सुरीली आवाज में गाकर लता मंगेशकर ने अमर कर दिया। लोगों के मन में अब वह अपनी आवाज के जरिए ही सदा के लिए रहेंगी। लता मंगेशकर के ऐसे ही नये पुराने हजारों गानों का संग्रह उनके एक प्रशंसक ने कर रखा है। यही नहीं उन्होंने लता मंगेशकर के नाम से संग्रहालय भी बनवाया है।

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में रहने वाले सुमन चौरसिया ने भारत रत्न लता मंगेशकर के गीतों के 7,600 दुर्लभ ग्रामोफोन रिकॉर्ड सहेजकर रखा है। 6 फरवरी को स्वर कोलिला के निधन के बाद वह शोक में डूब गए।

सुमन चौरसिया ने पीटीआई से बातचीत में कहा,’अपना दु:ख बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। वसंत पंचमी के अगले दिन लता दीदी के निधन से मुझ जैसे लाखों संगीतप्रेमियों के मन को गहरा धक्का लगा है।’

सुमन ने बताया कि उन्होंने लता मंगेशकर के हजारों गीतों के ग्रामोफोन रिकॉर्ड का संग्रह कर रखा है। जिनमें लता के कई दुर्लभ गानें भी है। उन्होंने वर्ष 1965 से गीतों को सहेजने शुरू किया था। सुमन ने बताया, ‘फिलहाल मेरे पास ऐसे करीब 7,600 ग्रामोफोन रिकॉर्ड का संग्रह है जो लता दीदी ने 32 देशी-विदेशी भाषाओं और बोलियों में गाए हैं। इनमें उनके कई दुर्लभ गीत भी हैं ।’

उन्होंने बताया कि उनके पास लता के गीतों का जो संग्रह है, उसमें वर्ष 1946 में परदे पर उतरी हिन्दी फिल्म ‘जीवन यात्रा’ का गीत ‘चिड़िया बोले चूं-चूं-चूं’ भी शामिल है।

अपने अमूल्य संग्रह को व्यवस्थित करने के लिए सुमन ने साल 2008 में इसे संग्रहालय का रूप दे दिया था। जिसे उन्होंने नाम दिया-‘लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय’।