लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी राष्ट्रीय लोकदल को भी बड़ी सफलता मिली है। राष्ट्रीय लोकदल ने 33 में से आठ सीट पर जीत दर्ज की है। पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी 21 मार्च को लखनऊ मे विधायक दल भी बैठक करेंगे। इसी बीच में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के फ्रंटल संगठनों को भंग कर दिया है। माना जा रहा है कि 21 को ही फ्रंटल संगठनों के साथ ही विधायक दल का नेता भी चुना जाएगा।
विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय लोकदल 21 मार्च को लखनऊ में विधायक दल की बैठक करेगा। इस बैठक के लिए सभी नवनिर्वाचित विधायकों को लखनऊ बुलाया गया है। 21 मार्च को दोपहर में 12 बजे से लखनऊ में राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश कार्यालय पर विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक की अध्यक्षता जयंत चौधरी करेंगे। आरएलडी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का सहयोगी दल था। समाजवादी पार्टी ने भी 21 मार्च को लखनऊ में पार्टी कार्यालय में विधायक दल की बैठक बुलाई है। सपा के 111 विधायक जीते हैं। विधानसभा चुनाव में रालोद का सपा के साथ गठबंधन था और पार्टी ने 33 प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से आठ जीते हैं।
राष्ट्रीय लोकदल ने मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत तथा हाथरस में जीत दर्ज की है। बागपत के छपरौली से अजय कुमार, शामली के शामली सदर से प्रसन्न चौधरी तथा थाना भवन से अशरफ अली जीते हैं। अशरफ अली ने कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा को हराया है। मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना से राजपाल बालियान, पुरकाजी से अनिल कुमार तथा मीरापुर से चंदन चौहान ने जीत दर्ज की है। हाथरस के सादाबाद से प्रदीप कुमार गुड्डू ने कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय को हराया। बसपा में लम्बे समय तक रहे रामवीर इस बार भाजपा से प्रत्याशी थे। मेरठ के सिवालखास से राष्ट्रीय लोकदल के गुलाम मोहम्मद विधायक निर्वाचित हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के सभी फ्रंटल संगठन भंग : राष्ट्रीय लोकदल ने उत्तर प्रदेश के सभी फ्रंटल संगठन को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने यह फैसला लिया है। अब सभी संगठनों का नए सिरे से गठन होगा। इसके साथ ही पार्टी की 21 मार्च की बैठक में कई प्रत्याशियों की हार के कारणों की समीक्षा भी होगी। जयंत चौधरी के निर्देश पर राष्ट्रीय लोकदल यूपी के प्रदेश, क्षेत्रीय और जिला व सभी फ्रंटल संगठन तत्काल प्रभाव से भंग किया गया है। विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन के बाद राष्ट्रीय लोकदल की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। चौधरी अजित सिंह का मई 2021 में कोरोना से निधन हुआ तो पार्टी की कमान पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी के कंधों पर आ गई। जयंत चौधरी ने सियासी जमीन और मुस्लिम वोटों को देखते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा।