श्रीनगर, : केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार फारूक अहमद खान का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया। दो दिन पहले फारूक खान ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को हैरान कर दिया था। उनके त्यागपत्र ने जम्मू कश्मीर में सत्ता के गलियारों और नौकरशाही में ही नहीं, आम लोगों के बीच भी नई अटकलों को जन्म दे दिया है।
हरेक उन्हें भाजपा में नई जिम्मेदारी मिलने का दावा कर रहा है, क्योंकि जम्मू कश्मीर में अगर लोकतंत्र के प्रहरियों की सूची तैयार की जाए तो वह अग्रणी पंक्ति में नजर आएंगे, जो पाकिस्तान और जिहादी तत्वों के उस मिथक को तोड़ता है कि जम्मू कश्मीर का मुस्लिम भारत से अलग होकर इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान का हिस्सा बनना चाहता है। दरअसल, फारूक खान ने राष्ट्रभक्ति और एक निशान-एक विधान की घुट्टी बचपन में अपने दादा पीर मोहम्मद खान से ही पी ली थी। पीर मोहम्मद खान महाराजा हरि ङ्क्षसह की फौज में कर्नल थे और बाद में वह जनसंघ के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।