‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने देश की मैपिंग पॉलिसी (Mapping Policy) में बड़े बदलाव की घोषणा की है. इसके तहत भू-स्थानिक (जिओस्पैटिकल) डाटा को लेकर नियमों में बदलाव किया है. ये बदलाव विशेष रूप से भारतीय कंपनियों के लिए किया गया है.अब निजी कंपनियां बिना किसी इजाज़त के सर्वे और मैपिंग कर सकती हैं. साथ ही इसके डाटा का इस्तेमाल लॉजिस्टिक्स से लेकर ट्रांसपोर्ट, सड़क सुरक्षा समेत ई कॉमर्स के क्षेत्र में इस्तेमाल में लाए जा रहे एप्लीकेशन में किया जा सकता है.
नई नीति के तहत सरकारी एजेंसियों जैसे भारतीय सर्वेक्षण और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के जिओस्पैटिकल डाटा को सार्वजनिक और निजी कंपनियों को मुहैया कराया जाएगा. सरकार ने कहा है कि इस कदम से ‘डिजिटल इंडिया’ को तेज़ी मिलेगी.
आत्मनिर्भर भारत के नजरिए से बड़ा फैसला
पीएम मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहन और रफ्तार देने के लिए हमारी सरकार ने एक अहम फैसला किया है. जियोस्पेशल डेटा के अधिग्रहण और उत्पादन (Acquisition and Production) को नियंत्रित करने वाली नीतियों को उदार बनाना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए एक बड़ा कदम है.” उन्होंने आगे कहा, “ये सुधार हमारे देश के स्टार्टअप, प्राइवेट सेक्टर, पब्लिक सेक्टर और अनुसंधान संस्थानों (Research institutes) में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर समाधान निकालेगा. इससे रोजगार भी पैदा होंगे और आर्थिक विकास में भी तेजी आएगी.
2.2 मिलियन लोगों को मिलेगा रोजगार
नई गाइडलाइंस से स्पीड के साथ ही मैपिंग की सटीकता में बढ़ोत्तरी होगी. भारतीय संस्थानों को मानचित्र समेत भू-स्थानिक डाटा (जिओस्पैटिकल डाटा) और जिओस्पैटिकल सर्विसेज के लिए किसी भी तरह का लाइसेंस हासिल करने की जरूरत नहीं होगी. सरकार का अनुमान है कि नई गाइडलाइंस से इस क्षेत्र को करीब 1 लाख करोड़ रूपए का बूस्ट मिलेगा. साथ ही 2.2 मिलियन लोगों को इससे रोजगार मिलेगा.
क्या है मैपिंग पॉलिसी
मैपिंग पॉलिसी वो नियम हैं जिसके तरह भारत में मैपिंग के डाटा को इस्तेमाल करने के अधिकार को परिभाषित किया गया है. सरकार ने अब इन नियमों में बदलाव के जरिए इसे उदार बनाया है. सरकारी एजेंसियों के मैप और उनके डाटा का इस्तेमाल भी इसी पॉलिसी के तहत आता है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर जो चीज आसानी से उपलब्ध है, उसे भारत में प्रतिबंधित करने की जरूरत नहीं है और इसलिए जो भू-स्थानिक डेटा प्रतिबंधित था अब भारत में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा.