नई दिल्ली, । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के इस बयान पर चर्चा शुरू हो गई है कि हर मस्जिद में शिवलिंग को तलाशा जाना ठीक नहीं है। शिवसेना, जदयू और देवबंद के उलेमा समेत उनके वैचारिक विरोधियों ने भी स्वागत किया है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि भागवत का यह बयान समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते का आधार हो सकता है। हालांकि, असदुद्दीन ओवैसी सरीखे कुछ नेताओं ने उनके बयान पर आशंका भी जताई है और इसे राजनीतिक दोहरापन बताया है।
शिवसेना ने किया समर्थन
मुंबई में शिवसेना नेता व संसद संजय राउत ने कहा, ‘मैं उनके (भागवत) के बयान का समर्थन करता हूं। यह रोज-रोज की अराजकता खत्म होनी चाहिए, नहीं तो देश को नुकसान होगा। शिवलिंग की तलाश करने के बजाय हमें यह सोचना चाहिए कि हम कैसे कश्मीरियों की जान बचा सकते हैं… कैसे कश्मीरी पंडितों की जान बचाई जा सकती है।’
जदयू ने किया स्वागत
वहीं, पटना में जदयू नेता और बिहार के ऊर्जा और योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि सरसंघचालक के विचार स्पष्ट और स्वागत योग्य हैं। उन्होंने कहा कि देश बेवजह विवादों में फंस रहा है। कानून में हर समस्या के निदान की व्यवस्था है। लेकिन, धर्म के नाम पर बिना मतलब तनाव बढ़ने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।