1990 में भाजपा ने सत्ता के लिए की थी रथ यात्रा
कन्हैया कुमार ने कोरोना काल में आम जनता के दिल्ली और मुंबई से पैदल बिहार जाने की बात का जिक्र किया और कहा कि अब नेता भी पैदल ही देश का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआइ को बताया, ‘यह देश की सोच का प्रतिनिधित्व करती है जो संविधान की प्रस्तावना में निहित है।’ उनसे पूछा गया कि यह यात्रा 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में निकाली गई यात्रा से किस तरह अलग है। इसके जवाब में कन्हैया कुमार ने बताया, ‘वह राजनीतिक यात्रा थी जो सत्ता के लिए थी, यह सत्य के लिए है।’
यात्रा के मकसद के बारे में पूछे जाने पर बिहार से कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि लोग सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को आधार बना गलतफहमी का शिकार होते हैं तो एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते उनके भाई व बहनों से मिलकर उनकी शिकायतों को सुनना होगा। उन्होंने कहा, ‘मैं बिहार से हूं और आपने देखा कि कोविड के दौरान क्या हुआ। लोग गुड़गांव और मुंबई से बिहार गए तो क्या नेताओं को नहीं चलना चाहिए ?’
दूसरे राज्यों में भी निकाली जाएगी यात्रा
बिहार में इस यात्रा के नहीं जाने पर उन्होंने कहा कि अनेकों तथ्य विचाराधीन हैं , यह दक्षिण से उत्तर या पूर्व से पश्चिम हो सकता है। जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स यूनियन अध्यक्ष ने कहा, ‘ अभी हम दक्षिण से उत्तर जा रहे हैं। लेकिन यात्राओं को ‘sub-yatras’ के तौर पर अन्य राज्यों में भी ले जाया जाएगा।’
यात्रा तमिलनाडु में कन्याकुमारी से शुरू होगी और फिर उत्तर की ओर जाएगी। यह यात्रा तिरुअनंपुरम, कोच्चि, निलम्बुर, मैसूर, बेल्लारी, रायूर, विकारबाद, नांदेड़, जलगांव, इंदौर, कोटा, दौसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, अंबाला, पठानकोट और जम्मू व श्रीनगर से गुजरेगी। यात्रा में शामिल होने वालों को कहा गया ‘भारत यात्री, अतिथि यात्रा, प्रदेश यात्री और वालन्टियर यात्री।’ यात्रा का टैगलाइन ‘मिले कदम, जुड़े वतन’ है।