मोतिहारी। अब पुश्तैनी जमीन नहीं बेची जा सकेगी। इसके लिए भू-स्वामियों को अपने नाम से जमाबंदी कायम करानी होगी। इस नियम के पूरे प्रदेश में प्रभावी होने के साथ उस प्रकार के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है, जिनकी भूमि तो उनके कब्जे में है, पर जमाबंदी पूर्वजों के नाम से चल रही है। पूर्व में एलपीसी भी आसानी से बन जाता था। साथ ही भूमि का निबंधन भी धड़ल्ले से हो जाता था।
इस प्रकार की व्यवस्था में भू-माफिया किसी की जमीन को आसानी से बेच रहे थे। यही नहीं, परिवार के दूसरे सदस्य भी भूमि बेच देते थे, जिस कारण भूमि संबंधी विवाद होता रहता था। अब नई व्यवस्था के तहत भू-स्वामियों को तय करना होगा कि उनकी भूमि है तो जमाबंदी भी उनके नाम से कायम हो।
आपसी सहमति से बंटवारे का अंचल में है प्रावधान
अंचल कार्यालय में पूर्व से यह व्यवस्था कायम है कि आपसी सहमति के आधार पर जमाबंदी को अलग कराने की व्यवस्था है। अगर भू-स्वामियों के पूर्वजों के नाम से जमाबंदी (Bihar Jamin Jamabandi) कायम है तो उसे अपने नाम से कराने के लिए आपसी सहमति से बंटवारा करना होगा। इसमें भूमि के विवरण के साथ सबकी सहमति से अंचल कार्यालय में आवेदन देना होगा।
अंचल कार्यालय इसकी जांच कर नया जमाबंदी को कायम करेगा। यह प्रकिया पूर्व से है, पर लोग लापरवाह बने थे, जिस कारण अभी भी पचास से साठ प्रतिशत लोगों की भूमि की जमाबंदी पूर्वजों के नाम पर ही चल रही है। नए नियम के प्रभावी होने के बाद अब इस प्रकार के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। वे अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने लगे हैं।
भू-अर्जन के भुगतान में भी होगा इसका प्रभाव
विभिन्न परियोजनाओं के लिए हो रहे भूमि अधिग्रहण में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। अर्थात जिनके नाम से भूमि होगी उसी को भुगतान मिल सकेगा। बताया गया कि इस नई व्यवस्था के तहत कोई गलत तरीके से भुगतान भी नहीं करा पाएगा। इस नियम के प्रभावी होने से भूमि से संबंधित विवाद कम होंगे।
जिले में यह नियम प्रभावी है। इसी के तहत निबंधन कार्य हो रहा है। भू-अर्जन में भी यह नियम पूर्व से लागू है। जमाबंदी जिसके नाम पर होगा वहीं भूमि को बेच सकेगा। – सौरभ जोरवाल, जिलाधिकारी, पूर्वी चंपारण