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BJP Foundation Day 2022: जन आकांक्षाओं पर खरी उतरती भाजपा, मात्र चार दशकों में जन-जन और घर-घर की पार्टी बनी


अनिल बलूनी। आज भाजपा अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही है। जनसंघ से लेकर भाजपा तक की यात्रा में पार्टी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। राष्ट्रवाद, सकारात्मक पंथनिरपेक्षता और नैतिक मूल्यों की राजनीति की स्थापना के लिए हमारे विचारकों और अनगिनत कार्यकर्ताओं ने कई स्तरों पर संघर्ष किया। भाजपा का शून्य से शिखर तक का वैचारिक संघर्ष आमजन के बीच गहरी आस्था और विश्वास के साथ स्थापित हुआ है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद और अंत्योदय का विचार हमारे राजनीतिक सोच का मूल है। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सांस्कृतिक राष्ट्रïवाद और सक्षम भारत का विचार इसे संबल देता है। भाजपा का मूल उद्देश्य अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के सशक्तीकरण के साथ-साथ भारत को विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित करना है।

आजादी के बाद जब नेहरू सरकार की तुष्टीकरण और पश्चिम का अंधाधुंध अनुसरण करने की राजनीति की असलियत खुलने लगी, तब ‘विचाराधारात्मकÓ दृष्टि एवं दृढ़ता के साथ वैकल्पिक विचारधारा उपलब्ध कराने का संकल्प लिया डा. मुखर्जी ने। उनके नेतृत्व में जनसंघ के लिए उस समय यह सोचना असंभव था कि कोई नेहरू और कांग्रेस को वैचारिक और सांगठनिक स्तर पर भी चुनौती दे सकता है। हालांकि शीघ्र ही पंडित नेहरू और वामपंथियों को यह आभास हो गया था कि जनसंघ की विचारधारा कितनी मजबूत है और वह किस तरह अखंड भारत की आत्मा का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए जनसंघ की स्थापना के समय से ही उसे कमजोर करने की साजिश रची जाने लगी, लेकिन उसका विचार निरंतर प्रखर होता गया। दूसरी ओर आज नेहरूवाद अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहा है।