सम्पादकीय

जलवायु संरक्षण जरूरी

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणके बीच जलवायु परिवर्तनसे स्थिति और विषम हो गयी है। जलवायु परिवर्तनके बढ़ते दुष्प्रभावसे मानवजीवन ही नहीं पृथ्वीके सभी जीवधारियों और वनस्पतियोंके अस्तित्वपर खतरा गहराता जा रहा है। अमेरिकाकी ओर से आयोजित शिखर सम्मेलनमें गुरुवारको भारतके प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने सम्मेलनमें शिरकत कर रहे विश्वके ४० शीर्ष नेताओंसे जलवायु खतरेसे निबटनेके लिए […]

सम्पादकीय

जनसुरक्षाको प्राथमिकता

राजेश माहेश्वरी  देखा जाय तो एक ओर हम सरकारको व्यवस्थापर अपनी खीझ और गुस्सा निकालनेसे बाज नहीं आते हैं। वहीं दूसरी ओर हमारा गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार पूरे समाजके लिए खतरेका कारण बन सकता है। वास्तवमें कोरोनाके प्रकोपके सामने सारी व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गयी हैं। यह होना स्वाभाविक भी है। १३५ करोड़की आबादीवाले देशमें किसी महामारीसे निबटना […]

सम्पादकीय

जीवनरक्षक बनी कोरोना वैक्सीन

रमेश सर्राफ धमोरा  पूरे देशके लोगोंमें कोरोनाके कारण भयका माहौल व्याप्त हो रहा है। दूसरे प्रदेशोंमें रोजी-रोटी कमानेके लिए गये लोग भी फिरसे लाकडाउन लगनेकी आशंकासे अपने घरोंको लौटने लगे हैं। देशमें कोरोना वैक्सीन लगानेका काम तेजीसे चल रहा है। कोरोना वैक्सीन लगना प्रारम्भ होनेके तीन माह बाद भी अभीतक देशकी मात्र दस फीसदी आबादीको […]

सम्पादकीय

पश्चिम बंगालमें तुष्टीकरणकी नीतिसे बेहाल जनता

प्रवीण गुगनानी बंगालीमें एक कहावत है, डूबे-डूबे झोल खाबा इसी भावार्थकी एक हिंदी कहावत है- ऊंटकी चोरी नेवड़े नेवड़े नहीं हो सकती। दोनों ही कहावतोंका एक-सा अर्थ है कि बड़ी चोरी आज नहीं तो कल पकड़ी ही जायेगी। पश्चिम बंगालमें हिंदू हितोंकी चोरी भी ममता बनर्जीका एक ऐसा ही चोरी थी जिसे पकड़ा भी जाना […]

सम्पादकीय

योगका अर्थ

जग्गी वासुदेव योगका अर्थ है पूर्ण मिलन यानी हर चीज आपके अनुभवमें एक हो गयी है, लेकिन तर्क कहता है कि बुराई या गंदगीको स्वीकार मत करो। कुछ समय पहलेकी बात है, किसीने मुझसे पूछा, योगका मतलब तो मिलन या एक होना है फिर भेदभाव करनेवाले मनका क्या करें। क्या ऐसा नहीं है कि जो […]

सम्पादकीय

राजनीतिक हिंसाका शिकार पश्चिम बंगाल

विरला ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो किसी न किसी क्षेत्रमें बंगालकी असाधारण प्रतिभा एवं तीक्ष्ण बौद्धिकतासे प्रभावित न हुआ हो। परन्तु कैसी विचित्र विडंबना है कि जो बंगाल कला, सिनेमा, संगीत, साहित्य, संस्कृतिकी समृद्ध विरासत और बौद्धिक श्रेष्ठताके लिए देश ही नहीं, पूरी दुनियामें विख्यात रहा हो, वह आज चुनावी हिंसा, अराजकता, रक्तपातके लिए […]

News सम्पादकीय

परिवर्तित होता मानव जीवन परिदृश्य

एक बार फिरसे इस महामारीने भयंकर रूप धारण कर लिया है। कई देशोंकी व्यवस्थाएं बदल गयी हैं। लगभग एक महीनेसे भारतमें भी इस संक्रमणसे भयंकर स्थिति हो गयी है। देशकी कई राज्य सरकारोंने तीव्र गतिसे फैलते संक्रमण तथा मृत्यु दरमें वृद्धि होनेके कारण फिरसे लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू तथा कई प्रकारकी बंदिशें लगानी शुरू कर दी […]

News सम्पादकीय

श्वसन तंत्रको बनायें मजबूत

देशमें कोरोनाकी वैक्सीनेशनकी गतिको और बढ़ाने और इसे विकसित करनेकी जरूरत है। उन्होंने इस पत्रमें कहा है कि वैक्सीनेशनके निरपेक्ष आंकड़ोंको बढ़ानेपर जोर न दें। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकारको राज्य सरकारोंसे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अगले छह महीनेमें कितनी वैक्सीनका ऑर्डर दिया जायगा और कैसे इनका वितरण किया जायगा। सिंहने […]

सम्पादकीय

संसाधनोंका संकट

देशमें कोरोना वायरसके कहरने रौद्र रूप धारण कर लिया है। हालात निरन्तर गम्भीर होते जा रहे हैं। गुरुवारको देशमें पहली बार संक्रमणके तीन लाखसे अधिक नये मामले आये, जो अबतक सर्वाधिक आंकड़ा है। लगातार पांचवें दिन देशमें ढाई लाखसे अधिक संक्रमणके नये मामले दर्ज हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार देशमें पिछले २४ घण्टेके दौरान […]

सम्पादकीय

श्वसन तंत्रको बनायें मजबूत

डा. वरिंदर भाटिया देशमें कोरोनाकी वैक्सीनेशनकी गतिको और बढ़ाने और इसे विकसित करनेकी जरूरत है। उन्होंने इस पत्रमें कहा है कि वैक्सीनेशनके निरपेक्ष आंकड़ोंको बढ़ानेपर जोर न दें। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकारको राज्य सरकारोंसे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अगले छह महीनेमें कितनी वैक्सीनका ऑर्डर दिया जायगा और कैसे इनका वितरण […]