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CJI डी वाई चंद्रचूड़ बोले- अदालत के लिए कोई केस बड़ा या छोटा नहीं, हम लैंगिक समानता के पक्षधर


नई दिल्ली, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D Y Chandrachud) ने शनिवार को कहा कि ई-न्यायालय परियोजना के तीसरे चरण से प्रत्येक नागरिक तक न्यायालय की पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी। CJI ने कहा कि 2023-24 के बजट में 7,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावित आवंटन से न्यायिक संस्थानों और दक्षता में वृद्धि होगी। सीजेआई ने इसी के साथ कहा कि अदालत के लिए कोई भी मामला बड़ा या छोटा नहीं होता और हमारी अदालतें लैंगिक समानता के एक मजबूत समर्थक के रूप में उभरी है।

कोरोना काल का अनुभव बताया

CJI ने उच्चतम न्यायालय के स्थापना की 73वीं वर्षगांठ को संबोधित करते हुए कोरोना काल का अनुभव भी साझा किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में शीर्ष अदालत ने लोगों तक पहुंचने के लिए अदालती कार्यवाही की वीडियो कांफ्रेंसिंग को अपनाया। सीजेआई ने कहा कि हाल के बजट में, भारत सरकार ने ई-न्यायालय परियोजना के चरण-3 के लिए 7,000 करोड़ रुपये का प्रावधान पेश किया है। इससे न्यायिक संस्थानों की पहुंच और भारत में न्यायिक प्रणालियों की दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इसी के साथ कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अदालत तक भारत के प्रत्येक नागरिक की पहुंच हो।

कोरोना काल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से 3 लाख से ज्यादा मामले सुने

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 23 मार्च 2020 से 30 अक्टूबर 2022 के बीच शीर्ष अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 3.37 लाख मामलों की सुनवाई की। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने अपने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बुनियादी ढांचे को बड़े स्तर पर अपडेट किया है। हम सुनवाई के हाइब्रिड मोड के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे का उपयोग करना जारी रख रहे हैं, जो देश के किसी भी हिस्से से पार्टियों को अदालती कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देता है।

सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश ने की शिरकत

सुप्रीम कोर्ट के 73वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुंदरेश मेनन ने भी शिरकत की। उन्होंने ‘बदलती दुनिया में न्यायपालिका की भूमिका’ विषय पर बात की। बता दें कि 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र बनने के दो दिन बाद 28 जनवरी 1950 को सर्वोच्च न्यायालय अस्तित्व में आया था।